जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 252.2 करोड़ रुपए कीमत के धान का उपार्जन किया। जिसमें अभी तक 140.4 करोड़ रुपए का जेआइटी पोर्टल के माध्यम से किसानों को भुगतान किया गया । जबकि जिले में 12596 क्विंटल धान का भुगतान अभी तक शेष है। जिसकी कीमत 2.34 करोड़ रुपए से अधिक होती है। डेढ़ माह पहले सतना में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के पीएस की बैठक में मुद्दा उठाया गया।
मामले में कलेक्टर ने टीम गठित कर जांच कराई तो 49 समितियों में 143 किसानों के 87 लाख रुपए से अधिक के धान की जानकारी सामने आयी। अभी तक 1.94 करोड़ रुपए धान का हिसाब नहीं दे पा रहीं। कुल मिलाकर अभी तक 2.34 करोड़ रुपए के धान का हिसाब अभी तक नहीं हो सका है। कलेक्टर के पत्र के बाद भी समितियां करोड़ो रुपए धान का हिसाब देने में पसीना छूट रहा है।
जिले में समिति संचालकों की मनमानी इस कदर है कि जिला प्रशासन को बीते सीजन में धान की तौल करने के बाद भी हिसाब नहीं दे रहीं हैं। बार-बार पत्र लिखने के बाद भी विपणन सहकारी समिति चाकघाट, चाकघाट-बी, सेमरिया, सेवा सहकारी समिति अतरैला (चाकघाट), अतरैला (जवा), खटखरी, खैरा, गंगेव, गुढ़, गोविंदगढ़, चोरहटा, बन्ना, बहुरीबांध, महसांव, रायपुर चाक, सोहर्वा, हनुमना, अतरैला चाक-बी, कनौजा, कुठिला, खर्रा, खीरा, गढ़वा, गुढ-बी, बदवार, चिल्ला, जोरौट मनगवां-बी, टीकर, दुआरी, दोंदर, नौढिय़ां, पडऱी, पाडऱ, बंधवा, बरहा, बांस, भमरा, मनिकवार, मिसिरगवां, मोहर्वा, रिमारी, लूक, चांदी, सीतापुर, सोहागी, हरदुआ, हिनौता-बी सेवा सकारी समितियां व संस्थाएं धान तौल का हिसाब नहीं दे रहीं हैं।
बीते सीजन में धान की तौल करने वाली सेवा समितियों से जानकारी के लिए पत्र भेजा गया है। अभी तक किसी जानकारी नहीं भेजा है। समितियां न तो धान की मात्रा बता पा रहीं हैं और न ही किसानों की संख्या। इसके लिए कलेक्टर साहब की ओर से डेढ़ माह पहले ही पत्र लिखा जा चुका है।
राजेन्द्र सिंह, ठाकुर, जिला खाद्य नियंत्रक