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एंटी माफिया अभियान में शासकीय स्कूल की जमीन से कब्जा हटाने असफरों को नहीं मिली फुरसत

locationरीवाPublished: Jan 15, 2020 01:42:14 pm

Submitted by:

Lokmani shukla

शहर के पडऱा स्थित प्राथमिक कन्या शाला सिकरमखाना के शिक्षक पिछले 12 साल से लगातार आवेदन दे है। बावजूद अफसरों को कब्जा हटाने फुरसत नहीं मिली है। यहां तक मौका स्थित देखने ना राजस्व विभाग का अमला पहुंचा और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी है।

In the anti-mafia campaign, the uneasers did not get the freedom to take possession of government school land.

In the anti-mafia campaign, the uneasers did not get the freedom to take possession of government school land.

रीवा। शहर के पडऱा स्थित प्राथमिक कन्या शाला सिकरमखाना के शिक्षक पिछले १२ साल से लगातार आवेदन दे है। बावजूद अफसरों को कब्जा हटाने फुरसत नहीं मिली है। यहां तक मौका स्थित देखने ना राजस्व विभाग का अमला पहुंचा और ना ही शिक्षा विभाग के अधिकारी है। इसके बाद भी शिक्षकों ने आस नहीं छोड़ी है और प्रतिवर्ष नुजूल शाखा में नक्शा व खसरा निकलवाकर कब्जा हटाने की आवेदन देते है। इसके कारण कई बार शिक्षकों की धमकियां भी मिल चुकी है।
शहर के पडऱा स्थित शासकीय प्राथमिक कन्या शाला सिकरमखाना को ५० डिसमिल जमीन में अब सिर्फ २५ डिसमिल जमीन बच्ची है। स्कूल के इस जमीन को तिल-तिल कर चारों तरफ से रहने वालों ने कब्जा जमा लिया। इतना नही इस अधिकारियो ंकी इस लापरवाही का मक्का निर्माण कर डाला है। यह देख शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से लेकर नुजूल कार्यालय में चक्कर काटते रहे,लेकिन किसी अधिकारी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।

सीमाकंन से होगी जमीन चिन्हित-
प्राथमिक कन्या शाला की प्रभारी अनीता द्विवेदी ने बताया कि नक्शे व खसरे में अब अभी उनकी जमीन ५०डिसमिल है। इस खसरा व नक्शे के आधार पर नुजूल अधिकारी जमीन का सीमांकन करे तो पता चल सकेगी की जमीन अब कितनी बची है। इस संबध्ंा में वह कई बार आवेदन कर चुकी है। लेकिन इसक बाद भी कुछ नहीं हुआ। वहीं एक इसके पहले प्रधानाचार्य रिटायर्ड तक हो चुके है लेकिन कार्रवाई की रफ्तार नहीं बड़ी।
एंटी माफिया अभियान में शामिल नहीं-
सरकारी जमीनों में लगातार हो कब्जा को हटाने के मुख्य मंत्री नें प्रदेश में एंटी माफिया अभियान चलाया है। लेकिन इसके बावजूद स्कूलों की जमीनों पर हो रहे कब्जे का एंटी माफिया अभियान में शामिल नहीं किया गया है। जबकि शहर के मुख्य मार्ग से लगी इस जमीन की कीमत करोड़ो रुपए में आकी जा रही है।
इनकी है जिम्मेदारी
प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं की मानीटरिंग के लिए बीइओ व बीआरसी पदस्थ है। इन्हें महीने में विद्यालयों को निरीक्षण करना है। निरीक्षण के आधार पर अपनी रिपोर्ट है डीइओ एवं परियोजना संचालिन को देनी है। लेकिन इन बीआरसी एवं बीइओ ने स्कूल में हो रहे कब्जे को लेकर कोई प्रयास नहीं किए है। यहां तक कि इसके लेकर उच्च अधिकारियों से चर्चा भी नहीं की।
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