वन विभाग के उप वनमंडलाधिकारी ऋषि कुमार मिश्रा की मानें तो बाघ जंगल में जहां भी चलता है वह अपने पेशाब से माॄकग करता है और दोबारा उसे ही सूंघकर यह अंदाजा लगाता है कि यह क्षेत्र उसी का है। बरसात के दिनों में बारिश होने के कारण यह मार्किंग धुल जाती है। इसलिए वह जंगल का रास्ता भटक जाता है और गांवों की ओर पहुंच जाता है। इसके साथ ही जब अपने इलाके से बाघ भटकता है तो दूसरे क्षेत्र के बाघ से उसकी भिडं़त हो जाती है और जो कमजोर पड़ता है वह जंगल छोड़कर स्वयं भागने लगता है।
सीधी का संजयगांधी नेशनल पार्क रीवा के जंगलों से जुड़ा हुआ है। वहां पर 18 की संख्या में बाघ इनदिनों बताए जा रहे हैं, जो आए दिन आसपास के जंगलों में भटककर पहुंच रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो रीवा में संजयगांधी नेशनल पार्क और पन्ना नेशनल पार्क के बाघ कई बार आते रहे हैं। बारिश के सीजन में अधिक संख्या में भटकते हैं, इसलिए अमले को अलर्ट किया गया है।
– सप्ताह भर के भीतर कई जगह से मिली सूचनाएं
सप्ताह भर के भीतर रीवा और आसपास के जिलों के लगे जंगलों में बाघ होने की कई सूचनाएं मिली हैं। मुकुंदपुर फारेस्ट रिजर्व क्षेत्र के हरियरी गांव, सीधी के भंवरसेन और बघवार से लगे जंगल के साथ ही रीवा जिले के बरदहा घाटी और सेमरिया क्षेत्र के ककरेड़ी के जंगलों में बाघ की गतिविधियों की सूचनाएं मिली थी। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि जो बाघ डढ़वा गांव में पकड़ा गया है, अधिकांश हिस्सों में इसी की गतिविधि हो सकती है।
– टाइगर रिजर्व पहचान की कर रहा प्रक्रिया
डढ़वा गांव में पकड़े गए बाघ को संजय गांधी टाइगर रिजर्व सीधी ले जाया गया है। वहां के विशेषज्ञों की टीम यह पहचान करने में जुटी हुई हैं कि उक्त बाघ टाइगर रिजर्व से ही निकला हुआ बाघ है या फिर किसी दूसरे क्षेत्र के जंगल से आया है। टाइगर रिजर्व के अधिकारी पकड़े गए बाघ की अपने यहां के बाघों की फोटो और वीडियो से मिलान करेंगे। अधिकारियों की मानें तो टाइगर रिजर्व का ही बाघ होने की संभावना अधिक है।