scriptइस नदी के आस-पास 20 किमी एरिया में आदिवासी बस्तियों में बढ़ा पेयजल संकट, गलातर करने के लिए बहा रहे पसीना | Increased drinking water crisis in tribal settlements | Patrika News

इस नदी के आस-पास 20 किमी एरिया में आदिवासी बस्तियों में बढ़ा पेयजल संकट, गलातर करने के लिए बहा रहे पसीना

locationरीवाPublished: May 20, 2019 12:45:14 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

जवा क्षेत्र के 36 गांवों में गरीबों को नहीं मिल रहा पानी, नदी-नाले और जलप्रताप से बुझा रहे प्यास, यूपी बार्डर से लेकर बीस किमी एरिया में बसे दर्जनभर गांव में गरीबों का सूख रहा हलक

Increased drinking water crisis in tribal settlements

Increased drinking water crisis in tribal settlements

रीवा. जिले में जलस्तर घटने से आदिवासी बस्तियों में पेयजल का संकट बढ़ गया है। जिले की यूपी बार्डर से जुड़े दर्जनभर आदिवासी बस्तियों में गलातर करने के लिए गरीब महिलाएं बच्चों के साथ पसीना बहा रही हैं। पन्ना जलप्रपात से टमस नदी में मिलने वाली नदी के आस-पास करीब बीस किमी एरिया में दो दर्जन गांवों की बस्तियों के लोग नदी के पानी से प्यास बुझा रहे हैं। आदिवासी बस्तियों में सरकार की पेयजल योजनाएं गरीबों के लिए बेमानी हैं।
600 आदिवासी परिवार के सामने संकट
जवा ब्लाक के पश्चिमी छोर में करीब पचीस किमी दूर स्थित घुरकुच वन गांव है। यहां पर करीब 600 आदिवासी परिवार की बस्ती है। आठ हैंडपंप लगे हैं। झोपड़ी के सामने लगे हैंडपंप पानी देना छोड़ दिया है। स्कूल परिसर में लगे हैंडपंप के भरोसे पूरे गांव का गलातर हो रहा है। धुरकुच वन गांव मुख्यरूप से कोटा ग्राम पंचायत का गांव है। गांव के पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कोदू कोल और पूर्व सरपंच ममता आदिवासी ने बताया कि गांव के पूरे हैंडपंप बंद पड़े हैं।
जिला प्रशासन को ज्ञापन
सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश यादव की अगुवाई में कई बार जिला प्रशासन सहित क्षेत्रीय अमले को ज्ञापन देकर पेयजल संकट दूर करने की मांग की गई, इसके बावजूद कोई सुनने वाला नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि जवा बेल्ट के 36 आदिवासी गांवों में पेयजल का संकट है। पन्ना जलप्रपात से टमस नदी में जुडऩे वाले नदी आस-पास बोड़ा पहाड़, ओबरी, देवखर, घुनघुना और चंाद रूपौली गांव के सामने टमस नदी में मिल जाती है।
ओबरी आदिवासी बस्ती की महिला
ओबरी आदिवासी बस्ती की महिला सुमन हर रोज बच्चों को लेकर पानी भरने के लिए करीब 400 मीटर दूर नदी जाती है। ओबरी बस्ती के कुछ हैंडपंप को छोड़ दें तो ज्यादातर हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। यह स्थित नदी के करीब बीस किमी एरिया के गांवों की है।
आदिवासी बस्तियों के 180 हैंडपंप खराब
जवा, डभौरा अंचल में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश यादव ने बताया कि तराई अचंल के आदिवासी बस्तियों में 180 से अधिक हैंडपंप खराब पड़े हैं। जबकि दो दर्जन गांवों में सैकड़ो हैंडपंप पानी देना छोड़ दिया है। इसके लिए अप्रेल माह में कलेक्टर को ज्ञापन देकर ठीक कराए जाने की मांग उठाई थी। आज तक किसी भी बस्ती में पानी की समस्या दूर नहीं हुई। आदिवासी परिवार की महिलाएं नदी, नाले और जलप्रताप के आस-पास गड्ढे का पानी पीने को मजबूर हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो