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अलग-अलग माध्यमों से उपलब्ध होगी सहायता
विश्वविद्यालय में खुलने जा रहे इंक्यूबेशन सेंटर के लिए संसाधनों की उपलब्ध शासन और विश्वविद्यालय की ओर से की जाएगी। इसके साथ ही सेंटर के लिए वित्तीय मदद विश्वविद्यालय के वार्षिक अनुदान, सीएसआर योजना, पूर्व छात्रों द्वारा सहायता, पीपीपी योजना, उद्योगों से सहायता, शासकीय नियमों के अनुसार मान्य एवं अन्य माध्यमों से राशि उपलब्ध कराई जाएगी। चालू वित्तीय वर्ष में पांच लाख और आगामी वित्तीय वर्ष में विश्वविद्यालय ५० लाख रुपए इस सेंटर के लिए खर्च करेगा। दूरवर्ती शिक्षा केन्द्र के भवन में फिलहाल इसका संचालन होगा।
– विश्वविद्यालय की होगी यह जिम्मेदारी
इंक्यूबेशन सेंटर खोलने के साथ ही शासन द्वारा विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। जिसके लिए विश्वविद्यालय को शैक्षणिक संवर्ग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा। साथ ही एक कार्यकारी समिति का गठन भी किया जाएगा, जो पूरे कार्यक्रम में निगरानी रखेगी। स्थान के साथ ही अधोसंरचना का इंतजाम भी करना होगा। स्टार्टअप के लिए आवश्यकताओं का पता लगाना आदि। कुलपति ने गाइडलाइन के अनुसार विभागों को जिम्मेदारियां भी सौंपी हैं।
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– कार्यकारी समिति की जिम्मेदारियां महत्वपूर्ण
विश्वविद्यालय द्वारा गठित की जाने वाली इंक्यूबेशन सेंटर की कार्यकारी समिति को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। इसमें नोडल अधिकारी के साथ ही विश्वविद्यालय के सभी संकायों के अध्यक्ष, कुलपति द्वारा नामांकित दो वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, क्षेत्र आधारित दो औद्योगिक विशेषज्ञ आदि रहेंगे। इनका कार्यकाल तीन साल का होगा। इस समिति का प्रमुख कार्य स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार क्षेत्रों का चयन करना, गतिविधियों का प्रचार-प्रसार, केन्द्र के उत्पादों के पेटेंट-औद्योगिकीकरण की अनुशंसा सहित अन्य कई महत्वपूर्ण कार्य दिए गए हैं।
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– इन उद्देश्यों को लेकर करेंगे काम
– स्थानीय स्तर पर नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
– स्थानीय प्रारूपों और प्रादर्शों को विकसित करने उनका सुयोग्य उद्यमों से संयोजन कराना।
– छात्रों एवं शिक्षकों को शोध के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना।
– स्टार्टअप की स्थापना के लिए सहायता उपलब्ध कराना।
– विश्वविद्यालय ज्ञान स्त्रोतों से आवश्यकता के अनुसार तकनीकी सहायता।
– विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों से संपर्क स्थापित करने में सहयोग।
– शोध के लिए आधुनिक संस्थापन उपलब्ध कराना।
– शोध संगोष्ठी एवं परिचर्चाओं का आयोजन।
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इन छह जरूरतों पर मिलेगा स्टार्टअप
विंध्य क्षेत्र के युवाओं को रोजगार का स्टार्टअप देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छह स्थानीय आवश्यकताओं का चयन किया है। जिनके जरिए युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का प्रयास होगा। जिसमें ये प्रमुख हैं-
1- सुपारी के खिलौने- रीवा सहित पूरे विंध्य की यह प्रमुख कलात्म पहचान है। अभी तक कुछ ही परिवार इनका निर्माण कर रहे हैं। इंक्यूबेशन सेंटर के जरिए अन्य युवाओं को प्रशिक्षित कर इससे जोड़ा जाएगा। इसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग सेंटर और सरकार के स्तर से होगी। विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
2- सोलर पैनल- रीवा में सबसे बड़े सोलर प्लांट स्थापित होने के बाद क्षेत्र के लोगों में जागरुकता बढ़ी है। इसलिए सोलर पैनल निर्माण की यूनिट लगाने पर सेंटर मदद करेगा। विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग को जिम्मेदारी मिली है।
3- फूड एवं मेडिसिन यूनिट- बाणसागर की नहरों के चलते खेती तेजी से बढ़ी है। इसलिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट के साथ आयुर्वेद मेडिसिन के यूनिट लगाने पर भी इंक्यूबेशन सेंटर मदद करेगा। यह स्थानीय आवश्यकताओं को सहजता से पूरी कर सकेगा और रोजगार में भी वृद्धि होगी। विश्वविद्यालय का पर्यावरण एवं जीव विज्ञान विभाग इसकी ब्रांडिंग करेगा।
4- हैंडमेड सोप एण्ड सेनेटाइजर– कोरोना काल के बाद से सेनेटाइजर की आवश्यकता अधिक महसूस होने लगी है। इसके साथ ही कम लागत में हाथों से साबुन बनाए जाने की यूनिट लगाने के लिए युवाओं की मदद की जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय का रसायन विभाग मार्गदर्शन देगा।
5- हथकरघा यूनिट- सीधी जिले के भरतपुर में हथकरघा से बनाए जाने वाले सूती कपड़ों की जिस तरह से मांग बढ़ी है। उससे विंध्य क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी इससे जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। इसकी ब्रांडिंग एमएसडब्ल्यू विभाग के माध्यम से की जाएगी।
6- मोबाइल एप्स– विश्वविद्यालय स्थानीय ज्ञान के आधार पर युवाओं को तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करेगा। कम्यूटर विभाग को जिम्मेदारी दी गई है कि वह मोबाइल एप बनाने में युवाओं को मदद पहुंचाएगा। स्थानीय आवश्यकता इस पर अधिक मानी जा रही है।
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विश्वविद्यालय में इंक्यूबेशन सेंटर खोलने का निर्देश शासन की ओर से जारी किया गया है। इसमें छात्रों के साथ ही अन्य स्थानीय युवाओं को स्टार्टअप के साथ रोजगार में मदद मिलेगी। छह नवाचारों का चयन किया गया है। जल्द ही इसकी शुरुआत होगी और युवाओं को मदद मिलेगी।
डॉ. अतुल पाण्डेय, नोडल अधिकारी इंक्यूबेशन सेंटर रीवा
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