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पीएस औद्योगिक नीति के स्थगन आदेश के बाद भी इंडस्ट्रियल एरिया चोरहटा में जबरिया निर्माण

locationरीवाPublished: Jan 25, 2021 10:48:37 am

Submitted by:

Rajesh Patel

मेसर्स सेलार वायर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के उद्यमी रमेश शर्मा ने क्षेत्रीय कार्यकारी प्रबंध संचालक पर मनमानी का लगाए आरोप
 

Industrial Policy

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रीवा. मेसर्स सेलार वायर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक ने औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग मंत्रालय को पत्र भेजकर एमपीआइडीसी के क्षेत्रीय प्रबंध कार्यकारी संचालक पर मनमानी के आरोप लगाए हैं। उद्यमी रमेश शर्मा ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग कार्यालय से 18 जनवरी को प्रकरण में स्थगन आदेश दे दिया गया है लेकिन एमपीआइडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रभारी कार्यकारी संचालक एपी सिंह ने जबरन निर्माण कराने की छूट दे दी है।
एकेवीएन ने वर्ष 92 में 90 हजार वर्गफीट की भूमि
रमेश शर्मा ने कहा कि वर्ष 1991-92 में 90 हजार वर्गफीट के चार अलग-अलग प्लान (नंबर 34, 35, 37 एवं 38 ) में 99 साल की रजिस्टर्ड लीजडीड दी गई। जमीन को वर्ष 92 में अधिपत्य दिया गया। इकाई चालू हो गई। बैंक के द्वारा पूर्ण स्वीकृत राशि नहीं दिए जाने पर इकाई पर वित्तीय संकट आ गया। बैंक ने हमारी व्यक्तिगत संपत्ति करोड़ों की 6.50 लाख में नीलाम कर दिया। जब प्लाटो को बैंक पजेशन में लेकर बेचने लगे तो पैसे की व्यवस्थाकर बैंक का वर्ष 2018 में नोड्यूज कर सुपर टेक के नाम से दिसंबर 2018 में नोड्यज कर दिया।
क्षेत्रीय संचालक ने नहीं भेजी फैक्स सीट
5 जनवरी 2019 को बैंक ने प्लाट का पजेशन वापस कर दिया। सुपर टेक के नाम से अरेरा हिल भोपाल में एमपीआइडसी के प्रबंध संचालक को प्लाट को ट्रांसफर का आवेदन दिया। प्रबंध संचालक ने रीवा क्षेत्रीय कार्यालय से फैक्स सीट मांगी। उद्यमी रमेश शर्मा का आरोप है कि क्षेत्रीय प्रबंध संचालक से फैक्स शीट भेजने के बजाए छह माह तक मामले को लटकाए रहे। 29 जुलाई 2019 को प्लाट स्थानांतण के लिए आवेदन लगाया था।
हाइकोर्ट के आदेश पर मिला पजेशन
क्षेत्रीय कार्यालय ने फैक्स सीट भोपाल न भेजकर बल्कि अक्टूबर 2020 को प्लाट को अपने पजेशन में लेकर तीन प्लाट दूसरे को बेच लिया। मामले को लेकर हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट के आदेश पर एक प्लाट बहाल कर दिया गया। आरोप है कि बैंंक ने सेलार वायर यानी हमें पजेशन में दे दिया था। मामले में वर्तमान समय में पीएस औद्योगिक नीति ने 18 जनवरी को यथास्थित दे दिया है। इसके बाद भी क्षेत्रीय संचालक के द्वारा जिन लोगों को तीन प्लाट आवंटित कर दिए गए हैं। वह जबरिया वहां पर निर्माण कर रहे हैं। तत्काल रोक लगाई जाए। में नियम-कायदे की अनदेखी कर निर्माण करा रहे हैं।
प्रकरणों की सुनवाई के लिए सक्षम अधिकारी नहीं
रमेश शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रकरणों के सुनवाई के लिए सक्षम अधिकारी नहीं है। प्रेसवार्ता में मौजूद अरुण सिंह ने मंत्रालय को भेजे पत्र की कॉपी दिखाते हुए कहा कि सांसद व विधायक निधि के बजट को बगैर निविदा चहेते लोगों के माध्यम से सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है।
सांसद-विधायक निधि का बिना निविदा दे दिया टेंडर
एमपीआइडीसी का क्षेत्रीय प्रबंध कार्यकारी संचालक एमपी सिंह ने सांसद व विधायक निधि के बजट का बिना निविदा चहेते ठेकेदार को टेंडर दे दिया। इसी तरह इंडस्ट्रियल एरिया में प्लाट आवंटन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है। मामले में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण सिंह ने पीएस औद्योगिक को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है।
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