बताया जा रहा है श्रीनिवास तिवारी ने दिनांक 19 जुलाई 2016 सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने क्रमोन्नत और वेतनमान संबंधित जानकारी कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग से मांगी। 3 साल बीत जाने के बाद भी उनको जानकारी नहीं दी। इस बीच प्रथम अपील पर अधीक्षण यंत्री ने चार बार कार्यपालन यंत्री को जानकारी देने के लिए कहा इसके बावजूद कार्यपालन यंत्री फाइल दबाए बैठे रहे।
मामले की सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा हरि सिंह ठाकुर कार्यपालन यंत्री ने श्रीनिवास तिवारी के प्रति एरियर भुगतान प्रकरण में द्वेष पूर्ण रवैया रखा हुआ था और बाद में जब आरटीआई आवेदन आया तो उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के विपरीत द्वेष पूर्ण कार्रवाई करते हुए जानकारी देने से मना कर दिया। सिंह ने जिम्मेदार अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए यह भी कहा कि सूचना के अधिकार कानून के प्रति घोर उपेक्षा देखनेेे से यह प्रतीत होता है कि सूचना का अधिकार कानून की व्यवस्थाएं निचले स्तर पर ध्वस्त हो चुकी हैं।
आरटीआई आवेदनकर्ता लोक निर्माण विभाग में रीवा में पदस्थ रहे समय पाल श्रीनिवास तिवारी वर्ष 2010 में रिटायर हो गए थे। तब से लेकर आज तक वे अपने वेतन से संबंधित एरियर के भुगतान के लिए भटक रहे। हाईकोर्ट के आदेश बावजूद समस्या जस की तस रही। इस पर सूचना आयुक्त ने नाराजगी जताई है।