वादा पूरा नहीं कर पाए दीपक
दीपक के परिजन बताते हैं कि 12 दिन पहले जब दीपक से फोन पर बात हुई थी तो उसने लॉकडाउन के बाद घर आने की बात कही थी पत्नी से कहा था कि आते वक्त कश्मीरी शॉल लेकर आऊंगा लेकिन भगवान को शायद कुछ और ही मंजूर था और दीपक देश की रक्षा करते करते शहीद हो गए। बीती रात करीब 10 बजे फोन के जरिए परिजन को दीपक के शहीद होने की खबर मिली।
30 नवंबर को हुई थी शादी
दीपक के पिता गजराज सिंह ने बताया कि दीपक की शादी 30 नवंबर हो हुई थी और वो 14 फरवरी को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए चले गए थे और भारत-चीन सीमा पर तैनात थे। फोन पर हुई बातचीत में जल्द घर आने की बात भी कही थी लेकिन किसे पता था कि अब वो तिरंगे में लिपटकर ही घर आएगा। दुखी मन से पिता गजराज ने बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए ये भी कहा कि बेटे ने सम्मान से उनका सिर ऊंचा कर दिया। दीपक के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से उनकी पत्नी गहरे सदमे में हैं और बेसुध सी हो गई हैं।
बड़े भाई से मिली थी देश की सेवा की प्रेरणा
शहीद दीपक के बड़े भाई प्रकाश भी सेना में हैं और उन्हीं से प्रेरणा मिलने के बाद दीपक ने सेना में जाने का मन बनाया था। दीपक फिलहाल भारत-चीन सीमा पर तैनात बिहार रेजीमेंट में पोस्टेड थे। फिलहाल दीपक का पार्थिव शरीर को सेना ने लेह में रखा है और उसे गुरुवार को रीवा और फिर वहां से उनके पैतृक गांव फरेंदा लाया जाएगा।