एफआईआर दर्ज कराने के पीदे दिया तर्क…
खनिज अधिकारी पर एफआइआर दर्ज करने के पीछे तर्क दिया गया है कि अवैध रेत खनन व परिवहन का गंभीर प्रकरण होने के बावजूद खनिज माफियाओं पर सुसंगत कार्यवाही नहीं की गई है। गंभीर प्रकरण होने के मद्देनजर सुसंगत कार्यवाही में खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम १९५७ की धारा 4/२१ के अधीन प्रकरण दर्ज होना चाहिए था। जबकि कार्यवाही मप्र. गौड़ खनिज नियम के नियम ५३ के तहत की गई है। बताया गया है कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 4/21 के अधीन होने वाली कार्यवाही में पांच लाख रुपए का अर्थदंड या पांच वर्ष के कारावास का प्रावधान है। जबकि 10 जनवरी 2019 को जियावन थाने में अवैध परिवहन व खनन में लिप्त पाए गए एक पोकलेन, दो हाइवा व तीन ट्रैक्टर को पकड़ते हुए संबंधित के खिलाफ मप्र. गौड़ खनिज नियम के नियम 53 के तहत कार्यवाही की गई। इसमें केवल कुछ हजार रुपए के दंड का प्रावधान बताया गया है। बता दें कि पोकलेन व वाहन थाना क्षेत्र के रेही गांव की खदान में अवैध खनन करते हुए पकड़े गए थे।
खनिज अधिकारी पर एफआइआर दर्ज करने के पीछे तर्क दिया गया है कि अवैध रेत खनन व परिवहन का गंभीर प्रकरण होने के बावजूद खनिज माफियाओं पर सुसंगत कार्यवाही नहीं की गई है। गंभीर प्रकरण होने के मद्देनजर सुसंगत कार्यवाही में खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम १९५७ की धारा 4/२१ के अधीन प्रकरण दर्ज होना चाहिए था। जबकि कार्यवाही मप्र. गौड़ खनिज नियम के नियम ५३ के तहत की गई है। बताया गया है कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 4/21 के अधीन होने वाली कार्यवाही में पांच लाख रुपए का अर्थदंड या पांच वर्ष के कारावास का प्रावधान है। जबकि 10 जनवरी 2019 को जियावन थाने में अवैध परिवहन व खनन में लिप्त पाए गए एक पोकलेन, दो हाइवा व तीन ट्रैक्टर को पकड़ते हुए संबंधित के खिलाफ मप्र. गौड़ खनिज नियम के नियम 53 के तहत कार्यवाही की गई। इसमें केवल कुछ हजार रुपए के दंड का प्रावधान बताया गया है। बता दें कि पोकलेन व वाहन थाना क्षेत्र के रेही गांव की खदान में अवैध खनन करते हुए पकड़े गए थे।
पुलिस और खनिज विभाग की अवैध खनन व परिवहन मामले में कार्रवाई को अपर्याप्त मानते हुए मप्र. राज्य की ओर से एडीपीओ सूर्य प्रकाश पांडेय ने 11 जनवरी 2019 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर एक लिखित आवेदन पत्र दिया। इसके बाद न्यायालय ने मामले को संज्ञान में लिया। इस संबंध में न्यायालय ने थाना प्रभारी व खनिज विभाग से स्पष्टीकरण देने का कहा गया। न्यायालय के निर्देश पर थाना प्रभारी की ओर से अमल किया गया, जिससे उन्हें राहत मिल गई।
आनन-फानन में दर्ज किया दोबारा प्रकरण
न्यायालय की ओर से मामला संज्ञान में लिए जाने के बाद जियावन थाने में न केवल खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 4/21 के अधीन प्रकरण दर्ज किया गया। बल्कि एक मार्च को न्यायालय को सूचित किया गया कि अवैध खनन व परिवहन मामले में नए अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना की जा रही है। देरी के लिए थाना प्रभारी ने अपनी त्रुटि को स्वीकार करते हुए न्यायालय को पुनरावृत्ति नहीं होने का आश्वासन दिया है।
न्यायालय की ओर से मामला संज्ञान में लिए जाने के बाद जियावन थाने में न केवल खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 4/21 के अधीन प्रकरण दर्ज किया गया। बल्कि एक मार्च को न्यायालय को सूचित किया गया कि अवैध खनन व परिवहन मामले में नए अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना की जा रही है। देरी के लिए थाना प्रभारी ने अपनी त्रुटि को स्वीकार करते हुए न्यायालय को पुनरावृत्ति नहीं होने का आश्वासन दिया है।
थाना प्रभारी ने अधिकारियों से मांगा मार्गदर्शन
न्यायालय ने खनिज अधिकारी पर भा.द.सं. की धारा 166, 167, 201, 204, 217, 218 व 219 के अपराध के संबंध में कार्यवाही किए जाने को लेकर थाना प्रभारी को निर्देशित किया है।अधिकारी पर लोक सेवक के दायित्व का निर्वहन नहीं करने का अरोप है। थाना प्रभारी अनिल उपाध्याय का इस संबंध में कहना है कि न्यायालय के आदेश के अनुरूप कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। गौरतलब है कि न्यायालय की ओर से यह आदेश पहली मार्च को ही जारी किया गया है, लेकिन अभी तक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।
न्यायालय ने खनिज अधिकारी पर भा.द.सं. की धारा 166, 167, 201, 204, 217, 218 व 219 के अपराध के संबंध में कार्यवाही किए जाने को लेकर थाना प्रभारी को निर्देशित किया है।अधिकारी पर लोक सेवक के दायित्व का निर्वहन नहीं करने का अरोप है। थाना प्रभारी अनिल उपाध्याय का इस संबंध में कहना है कि न्यायालय के आदेश के अनुरूप कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। गौरतलब है कि न्यायालय की ओर से यह आदेश पहली मार्च को ही जारी किया गया है, लेकिन अभी तक प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।
कलेक्टर को बाकी मामले की जांच का निर्देश
न्यायालय ने इस मामले के मद्देनजर कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है। निर्देश है कि वह इस तरह के अन्य मामलों की भी जांच कराएं। संभावना व्यक्त की गई है कि पुलिस और खनिज विभाग की ओर से अन्य दूसरे मामलों में भी सुसंगत कार्यवाही नहीं गई संभव जान पड़ रही है।
न्यायालय ने इस मामले के मद्देनजर कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है। निर्देश है कि वह इस तरह के अन्य मामलों की भी जांच कराएं। संभावना व्यक्त की गई है कि पुलिस और खनिज विभाग की ओर से अन्य दूसरे मामलों में भी सुसंगत कार्यवाही नहीं गई संभव जान पड़ रही है।