इस अंतरजातीय विवाह समारोह में धूम्रपान पूरी तरह से वर्जित था और देसी व्यंजन ही मेहमानों को परोसे गए थे। यहां आए मेहमानों को देसी और जैविक भोजन खाने को मिला। जिसमें ज्वार, बाजरा, कोदब, सामा, रागी, बैरी, मक्का, चना, मूंग, उड़द, मोथा, तिल काली सफेद, बरबटी, महुआ का लाटा, महुआ की डोभरी, देशी दही मठ्ठा, इंद्रहर, देसी रोटी, दलिया, बाटी चोखा, सत्तू, कढ़ी फुलौरी सहित सहित अन्य देसी व्यंजन परोसे गए थे।
बेटी विवेचना ने अंतरजातीय विवाह करने का फैसला किया और यह बात उन्होंने परिवार के लोगों के समक्ष रखी। बेटी के इस फैसले को माता-पिता मना नहीं कर पाए और परिवार के साथ ही समाज के लोगों का भी पूरा समर्थन मिला। पिता जगदीश यादव बताते हैं कि हम समाज जोडऩे के बात करते हैं तो जाति को तोडऩा पड़ेगा और यह रोटी-बेटी का संबंध स्थापित करके ही पूरा किया जा सकता है।