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दस वर्ष में दी गई छात्रवृत्ति की पड़ताल शुरू, विभाग ने उपयोगिता प्रमाण पत्र का मांगा हिसाब

locationरीवाPublished: Oct 20, 2019 12:27:20 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– विश्वविद्यालय और सभी कालेजों को तीन दिन के भीतर देनी होगी जानकारी- छात्रवृत्ति के नाम पर हो चुका है व्यापक रूप से घोटाला, इओडब्ल्यू में चल रही

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Investigation of scholarship given in ten years begins, department asks for utility certificate

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय और कालेजों में छात्रों को दी गई छात्रवृत्ति के साथ अन्य योजनाओं के लाभ की पड़ताल शुरू की गई है। उच्च शिक्षा विभाग ने पूर्व की सरकार के दौरान दिए गए लाभ की जानकारी मांगी है। इसमें कालेजों को यह भी बताना होगा कि किन छात्रों को कितनी राशि एवं अन्य संसाधन उपलब्ध कराए हैं। विभाग द्वारा शुरू किए गए इस परीक्षण के चलते कालेजों में हड़कंप की स्थिति बन हुई है।
पूर्व में कई कालेजों में छात्रवृत्ति के साथ ही शासन की योजनाओं में व्यापक पैमाने पर मनमानी की गई है। इसकी शिकायतें भी लगातार आ रही हैं। जिसके चलते परीक्षण कराने का पत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव और उच्च शिक्षा के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक के साथ ही सभी कालेजों के प्राचार्यों के पास भी पहुंचा है। कुछ कालेजों में पूर्व के जिम्मेदार अधिकारियों ने मनमानी रूप से कार्य किया था, इस कारण वहां पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज भी नहीं है। इसके पहले सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत ली गई जानकारी में दस्तावेज नहीं होने की पुष्टि भी की जा चुकी है।
कालेजों द्वारा बीते दस वर्ष में छात्रवृत्ति एवं स्टेशनरी प्रदाय करने से जुड़ी जानकारी 21 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे तक उच्च शिक्षा के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक तक पहुंचानी है। यह जानकारी 22 अक्टूबर को अनिवार्य रूप से अतिरिक्त संचालक कार्यालय से शासन को भेजी जाएगी। यह आदेश आते ही कालेजों में जानकारी जुटाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शहर के प्रमुख कालेज माडल साइंस कालेज, टीआरएस कालेज, न्यू साइंस एवं जीडीसी कालेज में इसकी जानकारी तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

– किताब वितरण में भी मनमानी
कालेजों में अध्ययनरत छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ ही किताबें एवं अन्य स्टेशनरी से जुड़ी सामग्री वितरित करने का नियम है। पूर्व में कई स्थानों से कमजोर वर्गों के छात्रों ने ही शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अध्ययन के लिए किताबें नहीं मिल पा रही हैं। इस मामले पर पहले जांच नहीं कराई गई लेकिन अब फिर से सरकार ने जवाब मांगा है।

– रीवा में छात्रवृत्ति के नाम पर हो चुका है घपला
कालेजों में छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर करोड़ों रुपए का घपला रीवा में सामने आया है। इस पर इओडब्ल्यू ने एफआइआर भी दर्ज कर लिया है। जिसमें एसएस मेडिकल कालेज, आयुर्वेद कालेज, टीआरएस कालेज के तत्कालीन प्राचार्यों और छात्रवृत्ति से जुड़े कर्मचारियों पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है। इसमें करीब दर्जनभर की संख्या में प्राइवेट कालेज भी शामिल हैं। जिन्होंने छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा किया। इसमें से अधिकांश पर इओडब्ल्यू ने छापा भी मारकर दस्तावेज जब्त कर लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों पर भी एफआइआर हुई है। रीवा में सबसे पहले यह मामला सामने आया, इसके बाद से प्रदेश के अन्य कई हिस्सों में भी छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर अनियमितताएं सामने आने लगी हैं। जिससे रीवा के साथ ही अन्य जिलों से भी शासन ने बीते दस वर्षों की जानकारी मंगाई है।

– फोटोकॉपी के दस्तावेजों से दिया प्रवेश
प्रवेश एवं छात्रवृत्ति की व्यवस्था आनलाइन होने से पहले व्यापक पैमाने पर मनमानी की गई थी। जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं कि फोटो कापी के दस्तावेज के आधार पर प्रवेश दिए गए हैं। इओडब्ल्यू ने जो मामला दर्ज किया है, उसमें कुछ कम्प्यूटर टाइपिंग एवं फोटोकापी की दुकानों की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया गया है कि यहां पर छात्र फोटोकापी कराने के लिए आते थे, जिसकी एक प्रति संबंधित दुकानदार सुरक्षित रख लेता था और उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर दूसरे कालेजों में प्रवेश दिए जाते थे। यह पकड़ में तब आया जब टीसी की जांच हुई। नियम है कि कालेज में प्रवेश के दौरान स्कूल से मिले टीसी की मूल प्रति जमा करनी होगी। अब दस वर्ष के रिकार्ड शासन ने तलब किए हैं, माना जा रहा है कि बारीकी से इनका परीक्षण होगा।
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