– किताब वितरण में भी मनमानी
कालेजों में अध्ययनरत छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ ही किताबें एवं अन्य स्टेशनरी से जुड़ी सामग्री वितरित करने का नियम है। पूर्व में कई स्थानों से कमजोर वर्गों के छात्रों ने ही शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अध्ययन के लिए किताबें नहीं मिल पा रही हैं। इस मामले पर पहले जांच नहीं कराई गई लेकिन अब फिर से सरकार ने जवाब मांगा है।
– रीवा में छात्रवृत्ति के नाम पर हो चुका है घपला
कालेजों में छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर करोड़ों रुपए का घपला रीवा में सामने आया है। इस पर इओडब्ल्यू ने एफआइआर भी दर्ज कर लिया है। जिसमें एसएस मेडिकल कालेज, आयुर्वेद कालेज, टीआरएस कालेज के तत्कालीन प्राचार्यों और छात्रवृत्ति से जुड़े कर्मचारियों पर एफआइआर दर्ज की जा चुकी है। इसमें करीब दर्जनभर की संख्या में प्राइवेट कालेज भी शामिल हैं। जिन्होंने छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा किया। इसमें से अधिकांश पर इओडब्ल्यू ने छापा भी मारकर दस्तावेज जब्त कर लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों पर भी एफआइआर हुई है। रीवा में सबसे पहले यह मामला सामने आया, इसके बाद से प्रदेश के अन्य कई हिस्सों में भी छात्रवृत्ति वितरण के नाम पर अनियमितताएं सामने आने लगी हैं। जिससे रीवा के साथ ही अन्य जिलों से भी शासन ने बीते दस वर्षों की जानकारी मंगाई है।
– फोटोकॉपी के दस्तावेजों से दिया प्रवेश
प्रवेश एवं छात्रवृत्ति की व्यवस्था आनलाइन होने से पहले व्यापक पैमाने पर मनमानी की गई थी। जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं कि फोटो कापी के दस्तावेज के आधार पर प्रवेश दिए गए हैं। इओडब्ल्यू ने जो मामला दर्ज किया है, उसमें कुछ कम्प्यूटर टाइपिंग एवं फोटोकापी की दुकानों की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया गया है कि यहां पर छात्र फोटोकापी कराने के लिए आते थे, जिसकी एक प्रति संबंधित दुकानदार सुरक्षित रख लेता था और उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर दूसरे कालेजों में प्रवेश दिए जाते थे। यह पकड़ में तब आया जब टीसी की जांच हुई। नियम है कि कालेज में प्रवेश के दौरान स्कूल से मिले टीसी की मूल प्रति जमा करनी होगी। अब दस वर्ष के रिकार्ड शासन ने तलब किए हैं, माना जा रहा है कि बारीकी से इनका परीक्षण होगा।