जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास उपायुक्त कार्यालय को भेजी गई जानकारी के अनुसार जनवरी 2019 की स्थित में 1324 प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिसमें अभी भी 1182 प्रकरण लंबित हैं। लंबित प्रकरणों में आइपीसी के साथ ही एससी-एसटी के भी शामिल हैं। अप्रैल 2018 से लेकर जनवरी 2019 के बीच 300 से अधिक प्रकरण थानों में दर्ज हुए। पीडि़त परिवार को न्याय की बात तो दूर अभी तक उन्हें अनुसूचित जाति विकास विभाग से मिलने वाली राहत राशि अभी तक नहीं मिल सकी है। आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा है कि बीते दस माह के भीतर पंजीकृत प्रकरणों में से 80 पीडित परिवारों को राहत राशि की प्रकिया शेष है। अधिकारियों की अनदेखी इस कदर है कि अभी तक रीवा और सतना सहित संभाग में पुलिस थानों की पुलिस के द्वारा समय से 85 प्रकरणों का चालान तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिससे पीडि़त परिवारों की राहत राशि का क्लेम क्लीयर नहीं हो पा रहा है।राहत राशि को लेकर सप्ताहभर पहले समीक्षा के दौरान अनुश्रवण समिति में संभागायुक्त ने जिम्मेदारों की नकेल कसी है।
संभाग में दस माह के पहले के भी 25 प्रकरण लंबित हैं। सभी प्रकरण सीधी जिले के हैं। अधिकारियों ने विवर में स्पष्ट किया है कि वर्ष २०१८ के पहल प्रकरणों की राहत राशि लंबित हैं। सभी पीडि़तों की राहत राशि तैयार कर ली गई है। संबंधित थानों की रिपोर्ट के कारण पीडि़त परिवारों को राहत राशि उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है।
जिला पंजीकृत प्रकरण लंबित प्रकरण
रीवा 360 323
सतना 402 352
सीधी 298 258
सिंगरौली 264 249
कुल 1324 1182 नोट: आंकड़े संभागायुक्त कार्यालय को भेजी गई रिपोर्ट से लिए गए हैं। गाइड लाइन तय कर दी गई
राकेश शुक्ला, उपायुक्त, जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग ने बताया कि लंबित प्रकरणों की समीक्षा सभागायुक्त कर चुके हैं। सभी को लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए गाइड लाइन तय कर दी गई है। लापरवाह अधिकारियों की जांच के लिए नोटिस जारी करने की प्रक्रिया प्रचनल में हैं।