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35 साल पुरानी बियरिंग में टिके यह 12 पुल, कभी हो सकते है धरासाई

locationरीवाPublished: Jul 13, 2019 01:29:55 pm

Submitted by:

Lokmani shukla

चार सालों में नहीं हो पाई बियरिंग का जांच, रुट बनाते रह गए नहीं आई मोबाइल इंस्पेक्शन यूनिट

It has 12 bridges in the 35-year-old bearings

It has 12 bridges in the 35-year-old bearings

रीवा। संभाग के 12 पुराने पुल खतरे से खाली नहीं है। इन पुलों में वाहनों के चलने से कभी भी बड़ी दरारें आ सकती है। यहां तक कि पुल गिरने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वजह है पुलों की बियरिंग का नहीं बदलना। ३५ साल पुरानी बियरिंग पर पुल टिके हुए हैं जबकि इनकी अधिकतम उम्र ही पच्चीस साल है। वाहनों के दबाव के कारण यह बियरिंग समय से पहले ही खराब हो सकती है।
बताया जा रहा है पुलों के खंभे व स्लैब के बीच बियरिंग लगाई जाती है। यह बियरिंग वाहनों के चलने से होने वाले कंपन्न को कम करती है। इन बियरिंग के खराब होने पर पुल में कंपन्न के कारण दरारें आ सकती है। इतना ही नहीं अधिक संख्या में पुलों की बियरिंग खराब होने पर पुल गिरने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। एक खास तरह की रबड़ से बनी बियरिंग की उम्र अधिकतम पच्चीस साल आंकी गई है। इस दौरान पुलों की जांच कर विभाग को बियरिंग बदलना होता है। लेकिन पुल में इन बियरिंग को जांच करने के लिए मोबाइल इंस्पेक्शन यूनिट नहीं होने के कारण इनकी जांच नहीं हो पा रही है। जिससे विभाग के अधिकारी बिना जांच के ही पुलों की बियरिंग कीओके रिपोर्ट पिछले चार सालों से भेजते आ रहे है। संभाग के 12 पुलों में से सबसे पुराना पुल रीवा-सिरमौर मार्ग में कसियारी घाट पर बना है। वहीं सतना का पैसुनी पुल भी काफी पुराना है। भगवान राम की तपोस्थली होने से इस पुल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जाते हैं। जबकि ये पुल खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके हैं।
बाक्स
चार साल से तय करते आ रहे हैं रुट-
लोक निर्माण सेतु संभाग के अधिकारी बताते हैं कि इन पुलों के बियरिंग जांचने पिछले चार सालों से विभाग से मोबाइल इंस्पेक्शन यूनिट की मंाग की जा रही है। इसके लिए कई बार मुख्यालय को रुट चार्ट बनाकर भी भेजा गया है, लेकिन अभी तक मशीन नहीं आ पाई। बिना मशीन के पुलों की बियरिंग की जांच संभव नहीं है।
पुल रीवा पुल की चौड़ाई निर्माण वर्ष
डभौरा टोंस नदी पर पुल 287.10 मीटर 31.07.1984
बीहर पुल रीवा शहर विक्रम ब्रिज 166.540 मीटर 19.01.1989
जदुआ-अतरैला मार्ग उमखा पुल 108.00 मीटर 31.03.2002
जवा-सितलहा मार्ग टमस पुल 200 मीटर 31.08.2004
वाराणसी- नागपुर मार्ग बीहर पुल 200 मीटर 29.01.2000
सतना
चित्रकूट हनुमान धारा पैसुनी पुल 110 मीटर 21.12.1985
नागौद – कलिंजर सतना पुल 51.30 मीटर 19.05.1999
सतना-अमरपाटन टमस पुल 116.10 मीटर 28.11.1999
उमरिया
मानपुर जयसिंह नगर मसीराघाट 320.00 मीटर 14.04.1988
सीधी
सीधी-कमर्जी गऊघाट पुल 649.70 मीटर 14.07.1989
महखोर-कुसुमी मार्ग महान पुल 95 मीटर 31.08.1989
सीधी-ब्यौहारी बनास पुल 200 मीटर 15.07.2008
अनूपपुर
अनूपपुर से जैतवार कुनुक पुल 116.80मीटर 13.01.1987
ब्रिज रिपेयरिंग के लिए नहीं है कोई मद-
नदियों में बने इन पुलों की रिपेयरिंग व स्लैब में होने वाले गड्ढों को भरने के लिए कोई भी मद विभाग के पास नहीं है। ऐसे में इन पुलों की कई वर्षाेे से मरम्मत नहीं हुई है। परिणाम स्वरुप इनमें कई पुलों की रेलिंग भी टूट गई है। रेलिंग टूटने के कारण ये पुल बड़े हादसे की वजह बन सकते है। वहीं पुलों में गड्ढों के कारण वाहन भी अनियंत्रित होकर बड़ी घटना का कारण बन सकते हंै। इस संबंध मेें विभाग को कई बार पत्र व्यवहार करने के बावजूद भी कोई जानकारी नहीं मिली है।
किया है पत्राचार
संभाग के 12 पुलों की बियरिंग जांचने की आवश्यकता है। इस संबंध में कई बार मोबाइल इंस्पेक्शन यूनिट के लिए पत्राचार किया गया है। पुलों की लाइफ इन्हीं बियरिंग पर टिकी होती है। एक बियरिंग की लाइफ 25वर्ष तक होती है।
प्रभाकर सिंह, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण सेतु संभाग

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