विंध्य में 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन का आरक्षित
नागपुर-बनारस उद्योग कॉरिडोर की तर्ज पर शासन ने करीब आठ साल पहले जबलपुर-सिंगरौली उद्योग कॉरिडोर बनाने के लिए सैकड़ो हेक्टेयर जमीन औद्योगिक विकास के लिए लैंडबैंक के रूप में आरक्षित किया है। औद्योगिक केन्द्र विकास निगम रीवा के रेकार्ड में रीवा, सतना, सिंगरौली 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन अधिग्रहीत की गई है। जबकि शडोल संभाग में इंडस्ट्रियल एरिया डवलपमेंट के लिए 100 एकड़ से अधिक जमीन आरक्षित की गई है।
नागपुर-बनारस उद्योग कॉरिडोर की तर्ज पर शासन ने करीब आठ साल पहले जबलपुर-सिंगरौली उद्योग कॉरिडोर बनाने के लिए सैकड़ो हेक्टेयर जमीन औद्योगिक विकास के लिए लैंडबैंक के रूप में आरक्षित किया है। औद्योगिक केन्द्र विकास निगम रीवा के रेकार्ड में रीवा, सतना, सिंगरौली 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन अधिग्रहीत की गई है। जबकि शडोल संभाग में इंडस्ट्रियल एरिया डवलपमेंट के लिए 100 एकड़ से अधिक जमीन आरक्षित की गई है।
लैंडबैंक बनाकर उद्योग स्थापित करना भूली सरकार
उद्योग स्थापित करने के लिए शासन की ओर से बनाया गया लैंडबैंक बिरान पड़ा है। औद्योगिक केन्द्र विकास (एकेवीएन) के अफसरों का दावा है कि औद्योगिक विकास के क्षेत्र में काम चल रहा है। श्रमिक नेता बृजेश ङ्क्षसह बताते हैं कि सरकारें कंपनियों की सुविधाओं और श्रम कानूनों की ओर ध्यान नहीं दिया। विंध्य में पुरानी कंपनियों को छोड़ दे तो कोई भी बड़ी कंपनी स्थापित नहीं हो सकी। सरकार ने जमीनें तो अधिग्रहीत करा लिया है। लेकिन, उस रफ्तार से काम नहीं कर रही हैं। जबलपुर-सिंगरौली उद्योग कॉरिडोर की घोषणा के बाद रीवा-सिंगरौली रेल लाइन का काम शुरू किया है। ये रेल लाइन भी पॉवर प्लांटों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
उद्योग स्थापित करने के लिए शासन की ओर से बनाया गया लैंडबैंक बिरान पड़ा है। औद्योगिक केन्द्र विकास (एकेवीएन) के अफसरों का दावा है कि औद्योगिक विकास के क्षेत्र में काम चल रहा है। श्रमिक नेता बृजेश ङ्क्षसह बताते हैं कि सरकारें कंपनियों की सुविधाओं और श्रम कानूनों की ओर ध्यान नहीं दिया। विंध्य में पुरानी कंपनियों को छोड़ दे तो कोई भी बड़ी कंपनी स्थापित नहीं हो सकी। सरकार ने जमीनें तो अधिग्रहीत करा लिया है। लेकिन, उस रफ्तार से काम नहीं कर रही हैं। जबलपुर-सिंगरौली उद्योग कॉरिडोर की घोषणा के बाद रीवा-सिंगरौली रेल लाइन का काम शुरू किया है। ये रेल लाइन भी पॉवर प्लांटों को लाभ पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।
चोरहटा में नहीं खड़े हो सके बड़े उद्योग
जिले में औद्योगिक क्षेत्र चोरहटा में करीब चार साल पहले खटको कंपनी बंद हो गई। इसी तरह कई अन्य कंपनियां भी ताला बंद कर फरार हो गईं या फिर किराए पर चला रही हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को छोड़ दे तो रीवा में ऐसा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका। जहां विंध्य के युवाओं को रोजगार मिल सके और क्षेत्र का विकास हुआ हो। और न ही प्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई हो। चोरहटा में खटको कंपनी तीन एकड़ एरिया में जमीन लेकर उद्योग स्थापित किया था। इसी तरह दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने करीब 17 एकड़ एरिया में जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया था, कुछ एरिया को छोड़ दें तो ज्यादातर एरिया में उद्योग स्थापित नहीं हो सके। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दर्जनभर से अधिक उद्योग निर्माणाधीन हैं।
विंध्य में यहां आरक्षित की गई जमीन
नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए रीवा के गुढ़ में 117 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है। इसी तरह घुरेठा में 176 हेक्टेयर, सतना केबाबूपुर में करीब 180 हेक्टेयर और नया गांव में 100 एकड़ से अधिक एरिया में लैंडबैंक बनाया गया है। जबकि सिंगरौली में फुलवारी में 62 हेक्टेयर, फिडरताली में 64 हेक्टेयर, गड़रिया 42 हेक्टेयर, बरगवां 60 हेक्टेयर, बाघाडीह 29 हेक्टेयर और शडोल में 100 एकड़ आदि जगहों पर नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए जमीन आरक्षित की गई है।
बाक्स
रीवा-सतना में कबाड़ हो रहे लघु उद्योग
जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र (डीआइसी)विभाग के द्वारा भी रीवा के बिछिया, सतना में गहरानाला, कृपालपुर (मटेहना), शहडोल में नरसरहा में औद्योगिक विकास के रूप में विकसित किया गया है। जहां छोटे-छोटे उद्योग धंधे स्थापित किए गए हैं। बड़ी संख्या में उद्योग जमीन अलाट कराने के बाद बंद कर दिए गए हैं।
वर्जन
औद्योगिक विकास के क्षेत्र में काम चल रहा है। उद्योगों के लिए प्लाट भी उपलब्ध कराए गए हैं। नए सिरे से औद्योगिक एरिया को डवलप किया जा रहा है।
नीलमणि अग्रिहोत्री, प्रभारी एमडी, एकेवीएन
जिले में औद्योगिक क्षेत्र चोरहटा में करीब चार साल पहले खटको कंपनी बंद हो गई। इसी तरह कई अन्य कंपनियां भी ताला बंद कर फरार हो गईं या फिर किराए पर चला रही हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को छोड़ दे तो रीवा में ऐसा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका। जहां विंध्य के युवाओं को रोजगार मिल सके और क्षेत्र का विकास हुआ हो। और न ही प्रदेश सरकार की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई हो। चोरहटा में खटको कंपनी तीन एकड़ एरिया में जमीन लेकर उद्योग स्थापित किया था। इसी तरह दो साल पहले तत्कालीन कलेक्टर ने करीब 17 एकड़ एरिया में जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया था, कुछ एरिया को छोड़ दें तो ज्यादातर एरिया में उद्योग स्थापित नहीं हो सके। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दर्जनभर से अधिक उद्योग निर्माणाधीन हैं।
विंध्य में यहां आरक्षित की गई जमीन
नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए रीवा के गुढ़ में 117 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गई है। इसी तरह घुरेठा में 176 हेक्टेयर, सतना केबाबूपुर में करीब 180 हेक्टेयर और नया गांव में 100 एकड़ से अधिक एरिया में लैंडबैंक बनाया गया है। जबकि सिंगरौली में फुलवारी में 62 हेक्टेयर, फिडरताली में 64 हेक्टेयर, गड़रिया 42 हेक्टेयर, बरगवां 60 हेक्टेयर, बाघाडीह 29 हेक्टेयर और शडोल में 100 एकड़ आदि जगहों पर नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए जमीन आरक्षित की गई है।
बाक्स
रीवा-सतना में कबाड़ हो रहे लघु उद्योग
जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र (डीआइसी)विभाग के द्वारा भी रीवा के बिछिया, सतना में गहरानाला, कृपालपुर (मटेहना), शहडोल में नरसरहा में औद्योगिक विकास के रूप में विकसित किया गया है। जहां छोटे-छोटे उद्योग धंधे स्थापित किए गए हैं। बड़ी संख्या में उद्योग जमीन अलाट कराने के बाद बंद कर दिए गए हैं।
वर्जन
औद्योगिक विकास के क्षेत्र में काम चल रहा है। उद्योगों के लिए प्लाट भी उपलब्ध कराए गए हैं। नए सिरे से औद्योगिक एरिया को डवलप किया जा रहा है।
नीलमणि अग्रिहोत्री, प्रभारी एमडी, एकेवीएन