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मध्यप्रदेश में बुरी तरह लड़खड़ाई स्वास्थ्य सेवाएं, हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर और नर्स, ऑपरेशन टले

locationरीवाPublished: Jul 23, 2018 07:13:51 pm

Submitted by:

Manoj singh Chouhan

आज से चिकित्सा शिक्षकों और प्राइवेट कॉलेज की नर्सिंग स्टूडेंट्स के हवाले रहेंगे अस्पताल

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रीवा. मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टरों और नर्सों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं लडखड़़ा गई हैं। कई सरकारी अस्पताल में पहले दिन ही ओपीडी और इमरजेंसी में सेवाएं प्रभावित होने से मरीज भटकते रहे। अस्पतालों में ऑपरेशन तक टालने पड़े हैं। श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल और गांधी स्मारक चिकित्सालय में भी डेढ़ सौ जूनियर डॉक्टर और करीब साढ़े तीन सौ नर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इसके चलते इलाज के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की कोशिश की है।
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के आह्वान पर रीवा सहित प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर सोमवार सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। जूनियर डॉक्टर मानदेय में बढ़ोत्तरी, सुरक्षा सहित अन्य मांगों को लेकर एक सप्ताह से समानांतर ओपीडी चलाकर विरोध दर्ज करा रहे थे।
इस दौरान चिकित्सा शिक्षा विभाग और सरकार की ओर से जूनियर डॉक्टरों की मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया, जबकि 23 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी जूनियर डॉक्टर दे चुके थे। रीवा इकाई के अध्यक्ष डॉ. शरद साहू ने कहा कि सुबह 8 बजे से हड़ताल शुरू हो जाएगी। न ओपीडी में बैठेंगे और न ही इमरजेंसी सेवा में ड्यूटी देंगे। उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टरों मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में सबसे ज्यादा ड्यूटी जूनियर डॉक्टर करते हैं लेकिन अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां मानदेय बेहद कम है। कई सालों से इसमें बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
नर्सों ने भरी हुंकर

मांगों को लेकर मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल और गांधी स्मारक चिकित्सालय की स्वशासी नर्सिंग स्टॉफ ने भी हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। सुबह 8 बजे से यह भी कार्य बंद कर दिया। नर्सेस एसोसिएशन की अध्यक्ष अम्बिका तिवारी ने कहा कि नर्सों की परिविक्षा अवधि समाप्त नहीं की जा रही है। सातवां वेतनमान नहीं दिया जा रहा है। समयमान वेतनमान नहीं दिया गया है।
इलाज की ये वैकल्पिक व्यवस्था

श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. पीसी द्विवेदी के अनुसार दोनों अस्पतालों में मरीजों को परेशानी न हो, इसके लिए पैथालॉजी, फार्मकोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, पीएसएम, फिजियोलॉजी और एनाटॉमी विभाग के चिकित्सा शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। सुबह 8 बजे से ओपीडी में सीनियर डॉक्टरों के साथ प्रदर्शक भी ड्यूटी दे रहे हैं। वहीं नर्सों की कमी पूरी करने के लिए शहर के सभी प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज से संपर्क किया गया है। यहां अध्ययनरत नर्सिंग स्टूडेंट्स वार्डों में ड्यूटी दे रही हैं। डीन द्विवेदी ने कहा कि अगर ये वैकल्पिक इंतजाम पर्याप्त नहीं दिखे तो स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की मदद ली जाएगी।
विंध्य के मरीजों पर आफत

जूनियर डॉक्टरों और नर्सों की हड़ताल से विंध्य के मरीजों पर आफत आ गई है। विंध्य के सतना, सीधी, सिंगरौली, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और पन्ना तक से मरीज गंभीर बीमार पडऩे पर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज के अस्पताल रेफर किए जाते हैं। क्रिटिकल डिलेवरी के केस भी यहीं आते हैं। करीब 90 फीसदी चिकित्सीय सेवाएं जूनियर डॉक्टर और नर्सों पर टिकी हैं। इनके हड़ताल पर होने से इलाज का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है। रविवार देर शाम हड़ताल की जानकारी पर मरीजों का पलायन शुरू हो गया। गायनी विभाग के लेबर रूम में डिलेवरी के लिए आईं कई गर्भवती निजी अस्पतालों को लौट गईं। इमरजेंसी वार्ड में भी भर्ती घट गई है।
जूडा की मांगें

पीजी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट को अभी 45 हजार स्टाइपंड मिलता है। इसे 65 हजार रुपए किया जाए।
थर्ड ईयर के छात्रों के लिए यह राशि 49 हजार से बढ़ाकर 69 हजार रुपए की जाए।
मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर द्वारा छात्रों से ली जाने वाली मनमानी फीस बढ़ोतरी पर रोक लगे।
बॉन्ड के तहत गांव में सेवा देने वाले डॉक्टरों का मानदेय 36 हजार से बढ़ाकर 70 हजार किया जाए।

सेकंड ईयर के लिए यह राशि 47 हजार से बढ़ाकर 67 हजार रुपए की जाए।
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