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सहकारी समितियों को झटका, कर्जमाफी की आधी राशि ही देगी कमलनाथ सरकार

locationरीवाPublished: Jun 18, 2019 12:12:04 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

कर्जमाफी राशि का आधा हिस्सा देगी कमलनाथ सरकार, बाकी समितियां करेंगी वहन- जिला सहकारी बैंक को 112 करोड़ रुपए की कर्जमाफी के बदले 46 करोड़ रुपए मिले- समितियां डूबत ऋण में डालेंगी कर्जमाफी का ब्यौरा

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Kamal Nath government will give half the amount of relief to cooperatives

रीवा. प्रदेश सरकार की महत्वाकांछी कर्जमाफी योजना में राशि का आधा हिस्सा कमलनाथ सरकार वहन करेगी। इसके अलावा जो भी राशि बचेगी वह सहकारी समितियों के हवाले छोड़ा गया है। समितियां यदि फायदे में हैं तो यह राशि जमा कर किसान के ऋण का हिस्सा भरेंगी अन्यथा इस राशि को डूबत ऋण के खाते में डाला जाएगा। सरकार के इस निर्णय से सहकारी समितियां बड़े आर्थिक घाटे में चली जाएंगी।
सरकार ने कहा है कि इस घाटे से समितियों को उबारने के लिए प्रयास किए जाएंगे। अधिकांश समितियां पहले से घाटे पर चल रही हैं, अब कर्जमाफी के कारण इनकी आर्थिक स्थिति और खराब होगी। समितियों से नो-ड्यूज लेकर किसानों को प्रमाण पत्र वितरित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। सरकार के इस निर्णय पर कई समितियों के संचालक मंडल से जुड़े लोगों ने आपत्ति भी दर्ज कराई है और कहा कि समिति स्वतंत्र एजेंसी के रूप में कार्य करती है, सरकार का निर्णय मानने को बाध्य नहीं है।
हालांकि समितियों का कार्यकाल पूरा होने के चलते अभी सहकारिता विभाग की ओर से प्रशासक नियुक्त किए गए हैं। इस वजह से विरोध के स्वर नहीं उठ रहे। बिना किसी ब्याज के पहले से ही समितियां कर्ज बांट रही हैं, जबकि बैंक को वह चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में राशि अदा करती हैं।

– अंशपूंजी के बहाने मदद की तैयारी
सहकारी समितियों को घाटे से उबारने के लिए सरकार ने अंशपूंजी की राशि में मदद करने की तैयारी की है। आरबीआइ की गाइडलाइन के अनुसार समितियों के घाटे की भरपाई अंशपूंजी में राशि जमाकर की जाएगी। बताया गया है कि रीवा जिले में 143 कृषि साख सहकारी समितियों को 4.12 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की गई है। जबकि अभी पांच समितियों की अंशपूंजी में यह मदद मिलना बाकी है।
यह राशि बहुत कम बताई जा रही है, इसी दर से मदद मिली तो वर्तमान में कर्जमाफी की भरपाई में करीब नौ वर्ष का समय लग जाएगा। किसानों को सदस्यता दिलाए जाने के समय साख सीमा का दस प्रतिशत हिस्सा समितियां जमा कराती हैं। यह राशि सहकारी बैंक को दी जाती है। विशेष परिस्थितियों में घाटे से उबरने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। अब सरकार घाटे को सामान्य करने के लिए इसमें मदद करेगी।
– समितियां के चुनाव पर संशय, गाइडलाइन स्पष्ट नहीं
सहकारी समितियों के संचालक मंडल का चुनाव भी होना है। पहले से ही 134 समितियां घाटे में चल रही हैं, जिनमें चुनाव हो पाना संशय में था। अब कर्जमाफी की बड़ी राशि जो समितियां डूबत ऋण में समायोजित कर रही हैं, इसकी वजह से सभी में घाटा होगा। ऐसी स्थिति में चुनाव के लिए समितियां पात्र नहीं होंगी। सरकार की ओर से भी अभी कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है, इसलिए पुराने नियमों के तहत चुनाव हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का दावा है कि समितियां स्वयं का चुनाव तो करा सकेंगी लेकिन बैंक के संचालक मंडल के चुनाव में वोट डालने के लिए पात्र नहीं होंगी। इस पर शासन के दिशा निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।
– कर्जमाफी पर सहकारी बैंक की फैक्ट फाइल
– किसानों ने कर्जमाफी के लिए कराया पंजीयन- 60268
– जनपदों ने सत्यापन किया- 45272
– अपेक्स बैंक ने डाटा फीड किया- 43708
– कर्जमाफी के लिए स्वीकृत संख्या- 33931
– कर्जमाफी के लिए कुल राशि का प्रस्ताव- 112 करोड़
– किसानों की कर्जमाफी की राशि- 73.71 करोड़
– सरकार से बैंक को मिली राशि- 45.86 करोड़


किसानों के कर्जमाफी की राशि का आधा हिस्सा सरकार ने बैंक को दे दिया है। बाकी हिस्सा समितियों को वहन करना है। सरकार ने कहा है कि जो घाटा होगा उसमें मदद दी जाएगी। समितियों को अंशपूंजी की राशि मिली है। उम्मीद है आने वाले समय में सभी समितियां घाटे से उबरेंगी।
आरएस भदौरिया, सीइओ- जिला सहकारी बैंक रीवा
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