पत्रिका टीम जब विद्यालय पहुंची तो देखा कि जो छात्रों को परोसा जा रहा है उसमें अत्याधिक कंकड़ होने के कारण बच्चे खाना नहीं खा पा रहे थे। सब्जी में आलू के छिलके अधिक दिख रहे थे।
बच्चे जब खराब खाना नहीं खा पाते तो उन पर आरोप लगाया जाता है कि बच्चे खाना बरबाद करते हैं, किन्तु हकीकत यह है कि मध्यान भोजन खाने लायक नहीं रहता। इस संदर्भ में संस्था के प्राचार्य ने भी धटिया भोजन परोसे जाने की पुष्टि की और इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से किये जाने की बात कही।
पता चला है कि चाकघाट नगर परिषद क्षेत्र के शा. कन्या उमावि परिसर में संचालित प्रथमिक एवं जूनियर स्कूल के छत्रों, शासकीय बालक उमावि परिसर में संचालित प्रथमिक एवं जूनियर स्कूल के छात्रों तथा नगर की आंगनबाडी केन्द्रों में घटिया स्तर के खाने का वितरण हो रहा है।
जिसकी जांच कराकर मापदण्ड के तहत भोजन वितरण करवाया जाना चाहिए। अभिभावकों ने भी घाटिया मध्यान्ह भोजन की जांच कराए जाने की बात कही है।