72 वर्ष पुरानी स्मृतियां हुई ताजा
फिल्मी दुनिया के सबसे बड़े घराने कपूर खानदान के साथ रीवा शहर का दशकों पहले जुड़ा नाता एक बार फिर नए सिरे से ताजा हो गया। शो-मैन कहे जाने वाले अभिनेता राजकपूर और कृष्णा का वैवाहिक कार्यक्रम 12 मई 1946 में रीवा में ही आयोजित किया गया था। उसी स्थान पर अब फिर से अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाया गया है।
फिल्मी दुनिया के सबसे बड़े घराने कपूर खानदान के साथ रीवा शहर का दशकों पहले जुड़ा नाता एक बार फिर नए सिरे से ताजा हो गया। शो-मैन कहे जाने वाले अभिनेता राजकपूर और कृष्णा का वैवाहिक कार्यक्रम 12 मई 1946 में रीवा में ही आयोजित किया गया था। उसी स्थान पर अब फिर से अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बनाया गया है।
रीवा में आईजी थे कृष्णा के पिता
रीवा राज्य के आईजी रहे करतारनाथ मल्होत्रा की पुत्री कृष्णा के साथ रीवा शहर के सिरमौर चौराहे के नजदीक सरकारी बंगले पर राजकपूर का विवाह हुआ था। इसके पहले 1940 में भी कपूर खानदान के कई प्रमुख लोग रीवा आए थे। कृष्णा के भाई प्रेमनाथ फिल्मों में काम करते थे, उनकी और राजकपूर की मित्रता थी। इसी के चलते राजकपूर भी शादी से पहले रीवा आए थे। बाद में यह दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई।
रीवा राज्य के आईजी रहे करतारनाथ मल्होत्रा की पुत्री कृष्णा के साथ रीवा शहर के सिरमौर चौराहे के नजदीक सरकारी बंगले पर राजकपूर का विवाह हुआ था। इसके पहले 1940 में भी कपूर खानदान के कई प्रमुख लोग रीवा आए थे। कृष्णा के भाई प्रेमनाथ फिल्मों में काम करते थे, उनकी और राजकपूर की मित्रता थी। इसी के चलते राजकपूर भी शादी से पहले रीवा आए थे। बाद में यह दोस्ती रिश्तेदारी में बदल गई।
राष्ट्रीय स्तर का ऑडिटोरियम होगा
शो मैन राजकपूर के वैवाहिक आयोजन की स्मृति में बनाए जा रहे इस ऑडिटोरियम में आधुनिक संसाधनों का उपयोग किया गया है। मध्यप्रदेश के उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का कहना है कि प्रदेश ही नहीं देश के प्रमुख ऑडिटोरियम में अब इसकी पहचान होगी। एक हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता इसमें हैं, जिसमें बालकनी भी बनाई गई है। साथ ही 500 लोगों की क्षमता वाला ओपन थिएटर भी बनाया गया है।
शो मैन राजकपूर के वैवाहिक आयोजन की स्मृति में बनाए जा रहे इस ऑडिटोरियम में आधुनिक संसाधनों का उपयोग किया गया है। मध्यप्रदेश के उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का कहना है कि प्रदेश ही नहीं देश के प्रमुख ऑडिटोरियम में अब इसकी पहचान होगी। एक हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता इसमें हैं, जिसमें बालकनी भी बनाई गई है। साथ ही 500 लोगों की क्षमता वाला ओपन थिएटर भी बनाया गया है।
बंगले को तोड़कर बनाया ऑडिटोरियम
आजादी के पहले बनाए गए इस बंगले में कृष्णा कपूर के पिता करतारनाथ मल्होत्रा के परिवार के बाद विंध्य प्रदेश के मंत्री का बंगला रहा। मध्यप्रदेश गठन के बाद से अब तक इस बंगले में पुलिस अधीक्षक रहा करते थे। कलाकारों द्वारा इस स्थल को यादगार बनाने की मांग उठने के बाद आडिटोरियम की स्वीकृति हुई और निर्माण कराया गया। पुराने बंगले को गिराने के बाद राजकपूर व कृष्णा कपूर के नाम पर आधुनिक भवन (ऑडिटोरियम) बनाया गया है, जो कपूर परिवार की पहचान बन गया है।
आजादी के पहले बनाए गए इस बंगले में कृष्णा कपूर के पिता करतारनाथ मल्होत्रा के परिवार के बाद विंध्य प्रदेश के मंत्री का बंगला रहा। मध्यप्रदेश गठन के बाद से अब तक इस बंगले में पुलिस अधीक्षक रहा करते थे। कलाकारों द्वारा इस स्थल को यादगार बनाने की मांग उठने के बाद आडिटोरियम की स्वीकृति हुई और निर्माण कराया गया। पुराने बंगले को गिराने के बाद राजकपूर व कृष्णा कपूर के नाम पर आधुनिक भवन (ऑडिटोरियम) बनाया गया है, जो कपूर परिवार की पहचान बन गया है।