scriptनौकरी ही नहीं, राष्ट्रभाव व स्वाभिमान जागृति करने वाली हो शिक्षा : राज्यपाल | Kushabhau Thackeray Memorial Speech in the auditorium of APSU | Patrika News

नौकरी ही नहीं, राष्ट्रभाव व स्वाभिमान जागृति करने वाली हो शिक्षा : राज्यपाल

locationरीवाPublished: Sep 16, 2019 10:01:30 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

अवधेश प्रताप सिंह विश्विद्यालय रीवा के सभागार में कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति भाषणमाला

Kushabhau Thackeray Memorial Speech in the auditorium of APSU

Kushabhau Thackeray Memorial Speech in the auditorium of APSU

रीवा. शिक्षा का उद्देश्य नौकरी नहीं है बल्कि राष्ट्रभाव व स्वाभिमान जागृत करने का होना चाहिए। नई शिक्षा नीति कुछ ऐसी ही बनाई जा रही है। यह बातें राज्यपाल लालजी टंडन ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित कुशाभाऊ ठाकरे स्मृति भाषणमाला में मुख्य अतिथि के आसंदी से कही। वे नई शिक्षा नीति और हमारी भूमिका विषय पर अपने विचार रख रहे थे।
विश्वविद्यालय के पंडित शंभूनाथ शुक्ल सभागार में आयोजित 16वीं भाषणमाला में कुलाधिपति ने कहा कि आजादी के बाद हमारी कोई शिक्षा नीति नहीं थी। मैकाले के सिद्धांत में अंग्रेज शासकों ने सेवा के उद्देश्य से युवाओं के लिए शिक्षा पद्धति बनाई। इसमें भारत की आत्मा नहीं है। भारत के गौरवशाली इतिहास को इससे हटा दिया गया। परिणाम स्वरुप हमारी शिक्षा पद्धति से नौकरी व गुलामी की मानसकिता व प्रवृत्ति बन गई है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे यहां प्राचीन में सबसे उत्तम खेती और व्यापार को माध्यम तथा निकृष्ट नौकरी की विचारधारा थी। कुशाभाउ ठाकरे जैसे शिक्षक व चिंतक के विचारों को देखेंं तो आज नई शिक्षा नीति नौकरी नहीं बल्कि स्वाभिमान एवं राष्ट्रभाव जागृति करने वाली चाहिए, क्योकि इसके बिना कवि, विचारक व चिंतक पैदा नहीं होगें। अब नई शिक्षा नीति स्वाभिमान जागृति करने वाली होगी।
राज्यपाल ने कहा कि शोध व उद्योग परख शिक्षा से देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। शोध व उद्योग परख शिक्षा नीति से 130 करोड़ आबादी वाले देश में 60 करोड़ युवा बेकार नहीं होगें। कहा कि इनोवेशन, कौशल विकास एवं स्टार्टअप जैसे पाठयक्रम विश्वविद्यालयों में पढ़कर छात्र निकलेंगे तो उनके हाथ में एक उद्योग होगा। इसके लिए सरकार भी संसाधन उपलब्ध कराएगी।
इस दौरान केन्द्रीय लोहा एवं इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए समय सीमा में शिक्षकों को नियुक्त किया जाना चाहिए। योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होगी तभी शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। इस दौरान चिंतक एवं विचारक भगवत शरण माथुर एवं सांसद जर्नादन मिश्रा ने नई शिक्षा नीति को लेकर अपने विचार रखे। अध्यक्षता कुलपति पीयूष रंजन अग्रवाल ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ला उपस्थित रहे।
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