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रीवा

सरकारी कालेजों की भूमि अतिक्रमण की भेंट चढ़ी, विभाग पर भारी पड़ रहा माफिया

– सरकार ने कालेजों के प्राचार्यों को संबंधित एसडीएम और कलेक्टर से मिलकर अतिक्रमणमुक्त कराने का दिया था निर्देश

रीवाJul 07, 2020 / 10:32 pm

Mrigendra Singh

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Land encroachment of government colleges in rewa mp

रीवा। सरकारी कालेजों की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। कालेजों की भूमि का बड़ा हिस्सा वर्षों से अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है, जिसे मुक्त कराने के लिए अब तक असफल प्रयास किए जाते रहे हैं। कई जगह तो कालेजों के प्राचार्यों और संबंधित प्रबंधन की भूमिका भी सवालों के घेरे में रही है।
इसकी शिकायतें भी की जाती रही हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। बीते साल यह मामला सरकार के संज्ञान में आया तो उच्च शिक्षा के अतिरिक्त संचालक को पत्र भेजकर सभी कालेजों से समन्वय बनाते हुए अतिक्रमण चिन्हित कराने के लिए कहा गया था। विभाग के अधिकारियों ने कई कालेजों में अलग-अलग बैठकें ली। एक प्रारूप भी तैयार किया गया था, उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

रीवा जिले में कालेजों की भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए प्रयास सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से किए गए थे। बीके माला की शिकायत पर संभागायुक्त ने रीवा सहित संभाग के अन्य जिलों में इसकी जांच कराने के लिए कमेटी गठित की गई थी। जिसने रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई है। इस तरह के मामले केवल रीवा जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अन्य जिलों से भी शिकायतें सरकार तक पहुंच रही हैं।
जिसके चलते उच्च शिक्षा विभाग ने अतिरिक्त संचालक सहित सभी कालेजों के प्राचार्यों को निर्देश जारी किया है, अवैध रूप से किए जा रहे कब्जे को रोकने और पहले से अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए कहा है। साथ ही कालेज प्राचार्यों की जवाबदेही तय की गई है कि वे अपने संस्थान की भूमि से जुड़े समस्त दस्तावेज दुरुस्थ करें। शहर के कई सरकारी कालेजों की भूमि में बड़े पैमाने पर अब उनका कब्जा नहीं है। कुछ जगह तो दूसरे सरकारी विभागों के कार्यालय बना दिए गए हैं तो वहीं निजी लोगों ने भी कब्जा कर रखा है।
– लॉकडाउन के चलते रुकी प्रक्रिया
उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक ने कालेजों की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी। शासन को प्रस्ताव भेजा है कि कहां पर कितनी भूमि पर अतिक्रमण है। साथ ही कालेजों को भी पत्र लिखकर कहा था कि अपने क्षेत्र के एसडीएम से मिलकर भूमि का सीमांकन कराएं और उसके अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई कराएं। यह प्रक्रिया चल ही रही थी कि कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन घोषित किया गया, जिसके चलते प्रक्रिया रुकी तो अब तक दोबारा नहीं प्रारंभ हो सकी है।
– जिले के प्रमुख कालेजों का यह है हाल
– टीआरएस कालेज- पाठ्यक्रम और छात्र संख्या के हिसाब से विंध्य का सबसे पुराना और सबसे बड़ा कालेज है। इसे 49.24 एकड़ भूमि आवंटित हुई थी। दूसरे विभागों के भवन इसकी भूमि पर बने हैं। साथ ही इसके हिस्से की भूमि को निजी स्कूल को लीज पर देने का विवाद न्यायालय में चल रहा है।
– साइंस कालेज- रीवा जिले का यह नोडल कालेज है। इसे 19.118 हेक्टेयर भूमि आवंटित हुई थी। बीएड छात्रावास भी इसी की भूमि में चल रहा है। जिसको लेकर कालेज की ओर से आपत्तियां कई बार उठाई जा चुकी हैं। राजस्व विभाग से कालेज की भूमि के दस्तावेज के लिए पत्राचार किए गए लेकिन जानकारी नहीं दी गई।
– विधि महाविद्यालय- टीआरएस कालेज की भूमि के 2.61 एकड़ हिस्से का आवंटन इसके लिए हुआ है। कई निजी लोगों ने कब्जा कर रखा है। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
– कन्या महाविद्यालय- 14 एकड़ भूमि आवंटित की गई थी। इसके सीमांकन के लिए कई प्राचार्यों ने प्रयास किया लेकिन प्रशासन का सहयोग नहीं मिला। उपभोक्ता फोरम, आयकर, उद्यानिकी सहित अन्य विभागों को कुछ हिस्सा कलेक्टर की ओर से दिया गया था। निजी लोगों का भी कब्जा है। मामला कोर्ट में चल रहा है।
– संस्कृत महाविद्यालय- इसका भवन तो बना है लेकिन भूमि के दस्तावेज संस्थान के नाम पर नहीं है। प्राचार्य को संभागायुक्त ने पहले निर्देशित किया था कि कोर्ट में मामला दायर करें। प्रबंधन की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।

भूमि से जुड़ी जानकारी आनलाइन होगी
कालेजों की भूमि से जुड़ी जानकारी अब आनलाइन करने की भी तैयारी चल रही है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से दिशा निर्देश जारी किया गया है कि अतिरिक्त संचालक और कालेजों के प्राचार्य संस्थाओं के अभिलेखों में सुधार कराएं। कई जगह निजी लोगों के नाम पर भूमि हो गई है। जिसकी वजह से उन्हें निर्देशित किया गया है कि भूमि स्वामी के कालम में महाविद्यालय या फिर उच्च शिक्षा विभाग का नाम अंकित कराया जाए। साथ ही कालेजों की भूमि का सीमांकन कराने के लिए भी कहा गया है। निर्देशित किया गया है कि समय सीमा में पूरी प्रक्रिया अपनाई जाए। आधे में प्रक्रिया रुकने के चलते अब तक भूमि से जुड़ी जानकारी आनलाइन नहीं हो सकी है।

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कालेजों की भूमि के अतिक्रमण को चिन्हित करने संबंधित एसडीएम और तहसीलदारों को पत्र दिया है। लॉकडाउन के चलते प्रक्रिया रुक गई है। राजस्व अधिकारी भी कोरोना की व्यवस्थाओं में लगे रह गए। फिर से रिमाइंडर भेजेंगे, ताकि सीमांकन कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हो सके।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा

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