मलकपुर तालाब की जमीन पर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान 11 एकड़ 11 डिसमिल, कृषि उपज मंडी 5 एकड़ 6 डिसमिल, शासकीय नवीन महाविद्यालय 3 एकड़ 55 डिसमिल एवं श्मशान घाट 1 एकड़ 1 डिसमिल जमीन आवंटित की गई है। लेकिन इनके अलावा तालाब की जमीन पर नगर पंचायत, मांगलिक भवन, सिविल अस्पताल, तहसील कार्यालय, न्यायालय भवन आदि भवन भी बन गए हैं। हाईकोर्ट में दायर याचिका को दरकिनार करते हुए तालाब की जमीन के बंटवारे कर दिए गए।
मनगवां के ऐतिहासिक मलकपुर तालाब की खासियत यह है कि 100 वर्ष पुराने इस तालाब का पानी कभी नहीं सूखा। तालाब में निरंतर पानी भरा रहता है। वर्ष 1964, 1965 एवं 1966 जब भीषण अकाल पड़ा था तभी तालाब में पानी था। लेकिन वर्तमान में इस तालाब के पानी को मापना बहुत कठिनाई भरा है।
पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि जमुना नदी एवं नर्मदा नदी के बीच गोंड राजाओं का शासन हुआ करता था। उनकी राजधानी मंडला रही। जहां की गोंड़ रानी मलकावती अपने पति को इलाज के लिए बनारस जा रही थी। रात में उसने मनगवां के समीप फुलचिहैन बगीचे में रात्रि पड़ाव डाला। रानी जहां विश्राम कर रही थी उसके बगल में सर्प की बामी से आवाज आई कि राजा को राई और म_ा पिला दो इनका जालंधर दूर हो जाएगा और बामी में कराही का गर्म तेल डाल दो सोना निकलेगा। रानी ने ऐसा ही किया तो उनकों अपार सोना मिला। जिससे रानी ने तालाब की खुदाई कराई और रानी मलकावती के नाम पर ही मलकपुर नाम पड़ा था।
तत्कालीन कलेक्टर जेपी श्रीवास्तव ने मलकपुर तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए दल गठित किया था। जिसके बाद तालाब पर बने मकानों को चिन्हित करके 113 अतिक्रमणकारियों को चिह्नित कर नोटिस भी जारी की गई थी। लेकिन उनके स्थानांतरण होते ही यह बात ठंडे बस्ते में चली गई। ऐतिहासिक मलकपुर तालाब अतिक्रमण मुक्त कराकर सौंदर्यीकरण कराए जाने की आवश्यकता है।
जल्द ही कमेटी गठित कर मलकपुर तालाब के अतिक्रमणकारियों को चिह्नित किया जाएगा एवं तालाब को अतिक्रमण मुफ्त किया जाएगा।
मनोज पुष्प, कलेक्टर रीवा