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सरकार 1.50 लाख परिवार को नहीं दे रही जमीन का मालिकाना हक, जानिए क्यों

locationरीवाPublished: Oct 12, 2017 04:12:35 pm

Submitted by:

Rajesh Patel

रीवा संभाग के 631 गांवों को आबादी घोषित होने का इंतजार, कागजों में विरान होने से रहवासियों को सरकार नहीं दे रही जमीन का मालिकाना हक

land not giving 150 lakh families to the government kno way

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रीवा. संभाग में राजस्व अधिकारियों की अनदेखी के चलते 631 से अधिक गांवों को आबादी घोषित नहीं किया जा सका है। जिससे लंबे समय से मकान बनाकर रहे लोगों को जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल रहा। जनगणना पूरी होने के बाद भी कागजों में गांव विरान हैं।
डभौरा में सात गांव

अकेले रीवा जिले में ऐसे 162 गांव हैं। ऐसा ही एक गांव है जवा तहसील के कोटा पंचायत का खैरहा है। जहां 111 परिवारों में 436 लोग रहते हैं। बस्ती की विधवा रानी कोल, राममिलन कोल, रामशिरोमणि चर्मकार आदि ने बताया कि वे साल 2010 से मकान बनाकर रह रहे हैं। 2011 में जनगणना भी की गई, लेकिन इसके बाद भी आवासी पट्टा नहीं मिला। इसी तरह डभौरा में सात गांव हैं।
डेढ़ हजार से ज्यादा गांव आबादी घोषित
राजस्व अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट में दावा किया है कि एक अक्टूबर 2016 से लेकर अब तक संभाग में डेढ़ हजार से ज्यादा गांव आबादी घोषित किए गए हैं। रीवा में 21, सतना में 192, सीधी में 363 और सिंगरौली में 1029 गांवों को आबादी घोषित किया गया है।
सिंगरौली में घोषित नहीं कर रहे 84 गांव
सिंगरौली के ग्राम नगर परियोजना एवं रिहंद बांध डूब क्षेत्र में 84 से अधिक गांवों को डूब क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है। लेकिन अधिकारियों ने शासन को रिपोर्ट भेज कर बताया है कि बांध क्षेत्र के गांवों को आबादी घोषित करने की आश्वायकता नहीं है।
सीधी में 432 और सीधी के 36 गांव विरान
सीधी के 432 गांव ऐसे हैं जहां आबादी है, लेकिन सरकारी रिकार्ड में विरान हैं। इसी तरह सतना में 36 गांवों में लोग रह रहे हैं, लेकिन उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है।
आबादी घोषित करने की कार्रवाई चल रही है। चिंहित किए गए गांवों की जांच कर घोषित करने की कार्रवाई की जा रही है। कुछ ऐसी भी बस्तियां हैं जहां पर रहने लायक है या नहीं, ऐस बस्तियों के लिए विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी। इस लिए अभी घोषित नहीं की जा सकी हैं।
एसके पॉल, संभागायुक्त, रीवा
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