पूर्व की सरकार ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का अध्यादेश कैबिनेट से पास किया लेकिन वह राष्ट्रपति कार्यालय में कहां चला गया, इसका अब तक पता नहीं है। कांग्रेस सरकार ने वचन पत्र में कहा था लेकिन उनकी ओर से भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। केन्द्र सरकार से भी मांग है कि केन्द्रीय अधिनियम के रूप में इसे लागू किया जाए। उपाध्याय ने कहा कि इसके अलावा अदालत परिसर की अन्य सुरक्षा व्यवस्थाएं हैं, उन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। अस्त्र-शस्त्र लेकर लोग प्रवेश कर रहे हैं और वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने आगजनी की घटनाओं को साजिश बताते हुए कहा कि हाइकोर्ट में भी आग लगी, जिसमें साजिश की आशंका है।
इसी तरह मैहर के कोर्ट में एक बड़े मामले के साक्ष्य दबाने के लिए कोर्ट में आग लगा दी गई। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त व्यवस्था की जरूरत है। अभी एक दिन की हड़ताल की जा रही है, आगे और भी व्यापक आंदोलन होगा। हड़ताल पर जाने की सूचना हाइकोर्ट एवं राज्य सरकार को दी गई है। स्टेट बार काउंसिल अध्यक्ष ने कहा कि हम गांधीवादी तरीके से आंदोलन करेंगे।
जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के साथ ही अन्य कई सुरक्षा से जुड़ी मांगे हैं। रीवा के कोर्ट भवन के आसपास हाइवे की तरह ट्रैफिक चलता है। जबकि इसे ट्रैफिक के नो-टालरेंस जोन के रूप में घोषित किया जा चुका है। व्यवस्थाएं नहीं बनाई गई तो आने वाले दिनों में और भी उग्र आंदोलन करेंगे। अभी एक दिन सांकेतिक रूप से हड़ताल कर व्यवस्था की मांग उठाएंगे। मंगलवार को सभी अदालतों से वकील स्वयं को अलग रखेंगे।