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लॉक डाउन के बीच तीसरे दिन खुली शराब दुकान, पियक्कड़ों की लगी भीड़

locationरीवाPublished: Mar 28, 2020 06:47:33 pm

Submitted by:

Balmukund Dwivedi

कोरोना वायरस के संभावित खतरे को देखते हुए जिले की शराब दुकानों को दो दिन के लिए बंद करवा दिया गया था

Liquor store opened on third day amid lock down, crowd of drunkards

Liquor store opened on third day amid lock down, crowd of drunkards

रीवा। कोरोना वायरस के संभावित खतरे को देखते हुए जिले की शराब दुकानों को दो दिन के लिए बंद करवा दिया गया था, लेकिन तीसरे दिन शराब की दुकानें खुल गई। दुकान खुलते ही पियक्कड़ों की भीड़ दुकानों में उमड़ पड़ी और दिनभर दुकानों में भीड़भाड़ मची रही। यहां तक कि कोरोना वायरस के खतरे से भी लोग भी बेखबर नजर आए। कोरोना वायरस के चलते घोषित लॉक डाऊन के बीच कलेक्टर ने शराब दुकानों को 24 व 25 मार्च के लिए बंद करवा दिया था, 26 मार्च को तीसरे दिन शराब की तमाम दुकानें खुल गई। सुबह शराब दुकान खुलते ही पियक्कड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। काफी संख्या में लोग शराब खरीदने के लिए दुकान पहुंच गए। हैरानी की बात तो यह है कि इन दुकानों में सुरक्षा को भी नजरअंदाज किया गया था। शराब दुकानों में असुरक्षित ढंग से लोग शराब खरीदते नजर आए। प्रशासन द्वारा लॉक डाऊन के बीच अत्यावश्यक सामानों की आपूर्ति बहाल रखने के लिए किराना, सब्जी की दुकानों को छूट प्रदान की गई है जिससे उक्त दुकानें खुली हुई हैं। शराब दुकानों को भी अत्यावश्यक सेवाओं में शुमार किया गया है। जानकारों की मानें तो शराब दुकानों को अधिक समय तक बंद कर पाना आसान नहीं है। इनका प्रतिदिन का टैक्स लाखों में होता है। ऐसे में इन दुकानों को निश्चित अवधि के लिए ही बंद किया जा सकता है।

सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं किया जा रहा पालन
शराब दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। अधिकांश दुकानों के बाहर गोला नहीं बनाया गया है और न ही लोग को लाइन से आकर शराब लेने की हिदायत दी जा रही है। भीड़भाड़ में लोग एक दूसरे के पास खड़े होकर शराब की खरीदी कर रहे है। ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका है। फिर भी शराब दुकानों को क्यों अभयदान दिया गया है यह समझ परे है।

आबकारी विभाग के अधिकारियों को परवाह नहीं
शराब दुकानों में बिना सोशल डिस्टेंसिग के शराब की बिक्री हो रही है लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। खुद अधिकारी भी इन दुकानों में व्यवस्था बनाने के लिए नहीं निकल रहे है। हालत यह है कि आबकारी विभाग के अधिकारी फोन भी उठाने से कतरा रहे है। आबकारी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही आम लोगों पर भारी पड़ सकती है।
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