रीवा में 1.26 लॉक जॉब कार्डधारी
जिले में 1.26 लाख जॉब कार्ड धारी सक्रिय हैं। जिसमें 2लाख से ज्यादा श्रमिकों का पंजीयन है। जिसमें डेढ़ लाख परिवार सक्रिय हैं। बीते 21 मार्च से लॉकडाउन के चलते पंचातयों में काम-काज ठप हो गया है। मनरेगा से जुड़े मजदूरों ने लॉक डाउन का समर्थन करते हुए इस दौरान परिवार चलाने के लिए खाद्यान्न की मांग की है। कुछ मजदूरों का नाम गरीबी रेखा में नहीं जुड़ा से है। लॉकडाउन के दौरान ऐसे परिवारों का पालना मुश्किल हो गया है।
जिले में 1.26 लाख जॉब कार्ड धारी सक्रिय हैं। जिसमें 2लाख से ज्यादा श्रमिकों का पंजीयन है। जिसमें डेढ़ लाख परिवार सक्रिय हैं। बीते 21 मार्च से लॉकडाउन के चलते पंचातयों में काम-काज ठप हो गया है। मनरेगा से जुड़े मजदूरों ने लॉक डाउन का समर्थन करते हुए इस दौरान परिवार चलाने के लिए खाद्यान्न की मांग की है। कुछ मजदूरों का नाम गरीबी रेखा में नहीं जुड़ा से है। लॉकडाउन के दौरान ऐसे परिवारों का पालना मुश्किल हो गया है।
पंचायतों में करोड़ों का काम प्रभावित
लॉक डाउन के दौरान पंचायतों में काम काज प्रभावित होने से डेढ़ लाख से ज्यादा परिवारों के रोजगार भी लॉकडाउन हो गया है। जिससे मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। रोज कमाने खाने वाले परिवारों के सामने परिवार पालने की चुनौती खड़ी हो गई है। हनुमना ब्लाक के हाटा गांव निवासी शिवबहादुर साकेत ने बताया लॉक डाउन होने से काम बंद हो गया है। बाजार में भी काम बंद है।
लॉक डाउन के दौरान पंचायतों में काम काज प्रभावित होने से डेढ़ लाख से ज्यादा परिवारों के रोजगार भी लॉकडाउन हो गया है। जिससे मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। रोज कमाने खाने वाले परिवारों के सामने परिवार पालने की चुनौती खड़ी हो गई है। हनुमना ब्लाक के हाटा गांव निवासी शिवबहादुर साकेत ने बताया लॉक डाउन होने से काम बंद हो गया है। बाजार में भी काम बंद है।
परिवार पालने के लिए राशन की आश्वयकता
परिवार को पालने के लिए राशन की आश्वयकता पूरी नहीं हो पा रही है। कोरोना बचाव के लिए लाकडाउन का समर्थन करता हूं, लेकिन जिले के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराता हूं कि लॉकडाउन के दौरान परिवार का पेट पालने के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए। ये कहानी अकेले शिवबहादुर की नहीं बल्कि हजारों परिवारों की है। अधिकारियों का दावा है कि ऐसे परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाने के लिए चिह्ंित किया जा रहा है।
परिवार को पालने के लिए राशन की आश्वयकता पूरी नहीं हो पा रही है। कोरोना बचाव के लिए लाकडाउन का समर्थन करता हूं, लेकिन जिले के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराता हूं कि लॉकडाउन के दौरान परिवार का पेट पालने के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए। ये कहानी अकेले शिवबहादुर की नहीं बल्कि हजारों परिवारों की है। अधिकारियों का दावा है कि ऐसे परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाने के लिए चिह्ंित किया जा रहा है।
मनरेगा के पंद्रह हजार से ज्यादा काम ठप
जिले में 9 ब्लाक हैं। प्रत्येक ब्लाक में औसत दो हजार विकास कार्य लिया जाए तो जिले में 18 हजार विकास कार्य ठप हो गए हैं। मनरेगा के सहत कई विकास कार्य चल रहे थे। जिससे मनरेगा के श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ था। अचानक लॉक डाउन होने के चलते श्रमिकों का काम भी लाकडाउन हो गया।
जिले में 9 ब्लाक हैं। प्रत्येक ब्लाक में औसत दो हजार विकास कार्य लिया जाए तो जिले में 18 हजार विकास कार्य ठप हो गए हैं। मनरेगा के सहत कई विकास कार्य चल रहे थे। जिससे मनरेगा के श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ था। अचानक लॉक डाउन होने के चलते श्रमिकों का काम भी लाकडाउन हो गया।