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लॉकडाउन का दूध कारोबार पर सीधा असर, यहां जानिए किस तरह खपत कर रहे हैं दूध कारोबारी

locationरीवाPublished: Mar 31, 2020 08:50:26 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– नवरात्र के बाद और दूध की मांग और घटने की आशंका- खपत की संभावना नहीं होने से पनीर और खोवा भी नहीं बना रहे व्यापारी

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Lockdown has direct impact on milk business,



रीवा। कोरोना संक्रमण को लेकर शहर से लेकर पूरे जिले में एहतियात के कदम उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत लॉकडाउन की घोषणा आगामी १४ अप्रेल तक की गई है। सभी कारोबार पूरी तरह से ठप हो गए हैं। आवश्यक सेवा में शामिल दूध की सप्लाई पर भी अब व्यापक पैमाने पर असर दिखने लगा है। शहर में हर दिन जो खपत होती थी, उसकी करीब ७५ प्रतिशत से अधिक मांग घट गई है। करीब एक हजार से अधिक की सं या जो दूधिए गांवों से दूध संकलित करके लाते थे, वह आना बंद कर दिए हैं। ये शहर के अधिकांश दुकानों और होटलों में सप्लाई करते थे, उनके बंद होने से इनकी खपत नहीं होती है। इसी तरह रीवा शहर में रहने वाले लोगों में बड़ा हिस्सा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का है, जो नौकरी, कारोबार या फिर बच्चों की शिक्षा के लिए रह रहे हैं। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा जब ३१ मार्च तक के लिए हुई तभी अधिकांश लोग अपने गांवों को चले गए हैं। इसके बाद कोरोनाबंदी की अवधि १४ अप्रेल तक बढ़ाई गई तब भी लोग कुछ प्रशासन से अनुमति लेकर तो कुछ बिना बताए ही गांवों की ओर चले गए। कुछ तो कोरोना संक्रमण की अफवाह की वजह से दूध लेना बंद कर दिए हैं, जबकि सरकार और चिकित्सकों की ओर से भी इस पर स्पष्टीकरण जारी किया जा चुका है।

– खपत घटी तो गांवों में घी बनाने लगे किसान
दूध की खपत घटी तो किसानों के सामने भी समस्या उत्पन्न हो गई। इस दूध का वह अपने घर पर पूरा उपयोग नहीं कर सकते। जिसके चलते अब गांवों में पशुपालकों ने घी बनाना शुरू कर दिया है। इसे बाद में भी बेचा जा सकता है। दूध की बिक्री नहीं होने से गाय-भैंसों के आहार का संकट भी उत्पन्न हो गया है। दूध बिक्री से आने वाले रुपयों से ही खली, चुनी आदि का इंतजाम होता था।

– पनीर-मिठाई का कारोबार भी ठप
लॉकडाउन की वजह से शहर में पनीर और मिठाई में उपयोग होने वाले दूध की मांग बंद हो गई है। होटल एवं दुकानें बंद होने की वजह से पनीर, मिठाई का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है। बताया जा रहा है कि कुछ डेयरी संचालक खोवा बनवा रहे हैं, इसे फ्रीजर में दो से तीन महीने तक रखा जा सकता है।

– इंदौर की तर्ज पर रोका तो बढ़ेगा संकट
दूध की मांग कम होने से गांवों से आने वाले अधिकांश दूधिओं ने आना ही बंद कर दिया है। डेयरियों से आसपास के लोगों तक सप्लाई हो रही है। हाल ही में इंदौर के प्रशासन ने दूध, फल, सब्जी की भी बिक्री रोक दी है। जिससे वहां लोगों के साथ दूध कारोबारी भी परेशान हैं। यही स्थिति रीवा में हुई तो तब डेयरी संचालकों की भी परेशानी बढ़ेगी। क्योंकि दूध से न तो वह पनीर बना सकते और न ही अधिक मात्रा में खोवा बना सकते। आने वाले दिनों में इसकी पर्याप्त सप्लाई की संभावना कम ही है।


– 800 लीटर एटीएम से सप्लाई
हमने ढेकहा में दूध का एटीएम लगा रखा है जो २४ घंटे चल रहा है। इसके अलावा समान में होटल कुछ समय के लिए खुलता है। स्वयं की डेयरी से करीब 800 लीटर दूध हर दिन निकलता है, जिसकी खपत शहर में हो रही है। वहीं दूधियों और किसानों से लेना बंद कर दिया है।
शांति नारायण पाण्डेय, संचालक कामधेनु डेयरी

आवश्यक सेवा को भी रोक रही पुलिस
रीवा शहर में जिले भर के और सीधी-सतना का भी दूध आता है। करीब 1500 दूधिए हर दिन 50 टन से अधिक सप्लाई करते हैं, इनदिनों 75 प्रतिशत धंधा बंद हो गया है। आवश्यक सेवा घोषित होने के बाद भी पुलिस वाले लाठियां मारकर रोक रहे हैं। प्रशासन को इस पर सोचना होगा।
बृजनंदन यादव, अध्यक्ष दुग्ध व्यापारी संघ

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