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Lok Sabha Elections : वादे कर भूल गई सरकार, बिना नौकरी कैसे आएंगे अच्छे दिन

सिटी बस चालक व परिचालकों ने बताया मुद्दा क्या है
 

रीवाMar 21, 2019 / 01:39 am

Balmukund Dwivedi

Lok Sabha Elections 2019 Issue

लोकमणि शुक्ला
रीवा. लोकसभा आम चुनाव के लिए आयोग का बिगुल बजने के बाद हर गलियों व चौराहों में चुनावी चर्चा आम है। कोई सरकार के अच्छे दिनों के जुमले पर तंज कस रहा है तो कई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर देश सुरक्षित हाथों में है की बात कह रहा है। लेकिन इन सब में आम आदमी के मुद्दे गायब है। भ्रष्टचार, महंगाई व बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर सरकार द्वारा ध्यान भटकने की कोशिश पर भी आम आदमी चर्चा कर रहा है। रेलवे स्टेशन परिसर में पत्रिका ने बसों में परिचालक व चालक का काम कर एक छोटी सैलरी में अपना परिवार चलाने वालों से मुद्दा क्या है इस पर चर्चा की तो उनका दर्द सामने आ गया है। सभी ने कहा कि चुनाव आते ही सभी को किसान, युवा एवं बेरोजगारों की चिंता सताने लगती है। इनके लिए चुनावी घोषणा होती है लेकिन सरकार बनने के साथ ही इनकी प्राथमिकताएं बदल जाती हंै। यही कारण है पिछले पंद्रह सालों में एक बड़ा उद्योग नहीं लगा, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। ऐसे में बेरोजगारों का कहना है कि बिना नौकरी के ऐसे अच्छे दिन कैसे आएंगे। वहीं नेताओं की वादाखिलाफी से लोग नाराज नजर आए।
बेरोजगारों के लिए अच्छे दिन नहीं आए
बेरोजगारों के लिए तो इन पांच सांलों में कोई अच्छे दिन नहीं है। युवा जहां था आज भी वहीं है। वह बेरोजगारी की मार झेल रहा भटकाव की ओर आगे बढ़ रहा है। सरकार रोजगार देने की जगह नौकरी में सेवानिवृत्त का समय बढ़ा रही है।
आशीष दुबे, युवा
चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं
चुनाव के दौरान सिर्फ किसानों व बेरोजगारों की बात होती है लेकिन चुनाव होने के बाद इन सब पर बात नहीं होती है। यही कारण है राजनैतिक पार्टियां इन मुद्दों को जीवित रखने के लिए इन पर कोई काम नहीं करती है। चुनाव के बाद सब भूल जाते हंै।
उदयभान तिवारी, बस चालक
सरकार में कुछ तो बेहतर भी हुआ है
इस सरकार में कुछ बेहतर तो हुआ है जिससे अन्य सरकारों से अलग काम दिखा है। गरीबों को पक्के मकान मिले हैं लेकिन अभी बहुत कुछ काम करने की जरूरत है। स्वास्थ्य व शिक्षा में बढ़ती महंगाई एक बड़ा मुद्दा है। इस पर सरकार को सोचना चाहिए।
संतकुमार मिश्रा, परिचालक
संसद में नहीं गूजी विंध्य की आवाज
हम जो अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजते हैं वह स्थानीय मुद्दों को लेकर संसद में नहीं उठाते हैं। वहां सिर्फ पार्टी की विचारधारा तक सीमित रह जाते हैं। इसलिए अब आम चुनाव में हमारी बातें संसद में उठा सके ऐसा उम्मीदवार चुनें।
गोपालजी पटेल, चालक

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