अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव सुधांशु त्रिपाठी संभागीय दौरे पर आ रहे हैं। १५ जनवरी को सतना, १६ को सीधी एवं १७ को रीवा में पार्टी के वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों के साथ ही पूर्व सांसद, विधायक एवं अन्य प्रकोष्ठ-विभाग के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। रीवा में विधानसभा चुनाव के दौरान रायशुमारी में हंगामा हुआ था, इस कारण इस बार वीडियोग्राफी कराने की भी तैयारी की जा रही है। यहां पर एआइसीसी पर्यवेक्षकों के साथ ही प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के साथ झूमा झटकी हुई थी।
विधानसभा चुनाव के दौरान करीब चार महीने पहले से ही रायशुमारी शुरू की गई थी लेकिन जब टिकट वितरण की बारी आई तो केवल जीत को टारगेट में रखा गया। रीवा में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कहकर गए थे कि पैराशूट मॉडल पर टिकट वितरण नहीं होगा। देवतालाब में चार दिन पहले बसपा छोड़कर आई विद्यावती पटेल को मैदान में उतारा तो रीवा और मनगवां से भी दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया। इतना ही नहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के घर से गुढ़ और सिरमौर के लिए टिकट दी गई। चुनाव परिणाम में इसका असर देखा गया।
रीवा लोकसभा सीट के लिए जिन प्रमुख नामों पर इनदिनों चर्चा चल रही है, उसमें प्रमुख रूप से पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष पुष्पराज सिंह, पूर्व सांसद सुंदरलाल तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष अभय मिश्रा, पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक राजेन्द्र मिश्रा, उदयप्रकाश मिश्रा सहित अन्य कई नाम शामिल हैं। इसमें सभी को हार का सामना करना पड़ा है। पुष्पराज सिंह पूर्व में विधानसभा और लोकसभा की सीट हार चुके हैं तो सुंदरलाल हाल ही में विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर थे। उन्हें पार्टी पांच बार लगातार पार्टी ने लोकसभा लड़ा चुकी है जिसमें एक बार जीते थे। इसी तरह सुखेन्द्र और अभय भी हाल में विधानसभा चुनाव हारे हैं, राजेन्द्र मिश्रा और उदयप्रकाश भी हार का सामना कर चुके हैं। इन्हीं में से पार्टी को तय करना है कि सबसे बेहतर विकल्प कौन होगा। दावेदारों में पिछड़ा वर्ग से रमाशंकर सिंह पटेल और विद्यावती के समर्थक भी नाम प्रस्तावित करेंगे।