सरकार के इस फैसले से क्षेत्र के लोगों में मायूषी है, साथ ही अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के प्रयासों को लेकर असंतोष भी है। सरकार में आने से पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आम लोगों को आश्वासन दिया था कि प्रदेश में सरकार बनी तो मऊगंज को जिला बनाया जाएगा। भाजपा के नेताओं की ओर से भी चुनाव के दौरान ऐसे आश्वासन दिए जाते रहे। नेताओं द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद भी जिला नहीं बनाए जाने पर क्षेत्र के लोगों में अब नाराजगी भी बढ़ती जा रही है।
1982 से उठ रही जिले की मांग
मऊगंज को अलग जिला बनाने की मांग 1982 से उठाई जा रही है। उस दौरान उठी मांगों पर रीवा के महाराजा मार्तण्ड सिंह ने टीआरएस कालेज की सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की सभा में कहा था कि मऊगंज अंचल की जनता की भावनाओं का वह सम्मान करते हैं लेकिन उनकी इच्छा है कि रीवा का भौगोलिक बंटवारा नहीं हो। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि ऐसा है तो फिलहाल मऊगंज जिला नहीं बनेगा। इसके बाद से कई वर्षों तक नए जिले की मांग की गति धीमी रही। अब फिर से इसके लिए आवाज उठने लगी है।
– तेरह वर्षों से लगातार चल रहा संघर्ष
मऊगंज को जिला बनाने के लिए 23 जनवरी 2007 को जिला निर्माण संघर्ष परिषद का गठन हुआ। अधिवक्ता संतोष मिश्रा की अगुआई में कई बड़े आंदोलन परिषद ने किए। पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने भी इस आंदोलन को गति दी, कई आंदोलन किए जन समर्थन जुटाया और विधानसभा में भी मामला उठाया। इसी बीच सत्ताधारी दल भाजपा में वह शामिल हुए तो संगठन के दबाव की वजह से जिला बनाने की मांग खुलकर नहीं कर पाए। इस बात का खुलासा उन्होंने स्वयं किया। कांग्रेस के विधायक रहे सुखेन्द्र सिंह ने भी मुख्यमंत्री की सभाएं रोकने का खुला ऐलान किया लेकिन जिला वह भी नहीं बनवा पाए और पार्टी की सरकार बनी तो चुनाव हार गए और मुद्दा भी कमजोर हो गया।
– एक संयोग ऐसा भी
जिला बनाए जाने की मांग पर एक अड़चन यह भी आ रही है कि मऊगंज से चुना जाने वाला विधायक सत्ताधारी दल के विपरीत दल का लंबे समय से होता रहा है। पहले कांग्रेस की सत्ता रही तो बसपा की लगातार जीत होती रही, इसके बाद तीन बार भाजपा की सत्ता आई तो बसपा के आइएमपी वर्मा, जनशक्ति पार्टी के लक्ष्मण तिवारी और कांग्रेस के सुखेन्द्र सिंह बन्ना विधायक चुने गए। मुख्यमंत्री सहित अन्य नेता मंच से घोषणाएं करते रहे कि उनका विधायक होगा तो मऊगंज को जिला बनाएंगे। अब कांग्रेस सरकार में आई तो यहां विधायक फिर बदल गया और भाजपा के प्रदीप पटेल चुनाव जीते। इनकी ओर से अभी तक जिला बनाए जाने को लेकर कोई बड़ी मांग नहीं रखी गई है।
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मऊगंज को जिला बनाने के लिए हमने हर संभव कोशिश की लेकिन जनता ने आगे अवसर नहीं दिया तो शक्तियां कम होने के चलते हम भी दबाव नहीं बना पा रहे। भाजपा लगातार आश्वासन देती रही, कांग्रेस में भी कोई उचित पहल करने वाला नहीं है। पड़ोस के जनप्रतिनिधियों का भी अपेक्षा के अनुरूप सहयोग नहीं रहता। फिर भी उम्मीद है कि एक दिन मऊगंज जिला जरूर बनेगा।
लक्ष्मण तिवारी, पूर्व विधायक मऊगंज
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भाजपा के शासनकाल में कई बार विधानसभा में मामला उठाया। क्षेत्र में आंदोलन चला तो सीएम को सभा तक नहीं करने दिया। हमने तो यह शर्त भी रखी थी कि यदि कांग्रेस पार्टी की वजह से जिला नहीं बनाया जा रहा है तो इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हूं। अफसोस है कि फिर जिला बनने की दौड़ में क्षेत्र पिछड़ गया। सदन में नहीं हूं, इसलिए आवाज को बल कम मिल रहा है।
सुखेन्द्र सिंह बन्ना, पूर्व विधायक मऊगंज
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करीब तेरस वर्ष से लगातार जिला बनाने की आवाज उठा रहे हैं। हर मंच तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। जनता भी चाहती है और पूरा समर्थन मिल रहा है लेकिन अफसोस यह है कि हमारे जनप्रतिनिधि जो मऊगंज, देवतालाब एवं आसपास के हैं वह सही फोरम में दबाव नहीं बना पा रहे हैं। जब तक जिला नहीं बनेगा तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
संतोष मिश्रा, अध्यक्ष जिला निर्माण संघर्ष परिषद
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कांग्रेस सरकार ने मऊगंज की जनता के साथ अन्याय किया है। पहले से इसे जिला बनाने की मांग चल रही थी लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ के चलते मैहर को जिला बना दिया है। मऊगंज को जिला बनाए जाने के लिए अशासकीय संकल्प हमने विधानसभा में रखा है। कांग्रेस सरकार की इस मनमानी का जवाब मऊगंज की जनता देगी।
प्रदीप पटेल, विधायक मऊगंज रीवा
कांग्रेस सरकार ने मऊगंज की जनता के साथ अन्याय किया है। पहले से इसे जिला बनाने की मांग चल रही थी लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ के चलते मैहर को जिला बना दिया है। मऊगंज को जिला बनाए जाने के लिए अशासकीय संकल्प हमने विधानसभा में रखा है। कांग्रेस सरकार की इस मनमानी का जवाब मऊगंज की जनता देगी।
प्रदीप पटेल, विधायक मऊगंज रीवा