शहर के किला में भव्य मेला लगेगा। इसके साथ ही क्योंटी में भी मेले का आयोजन होगा। 14 जनवरी को शाम 7.51 बजे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही मकर संक्रांति का पर्वकाल प्रारंभ हो जाएगा।
कितनी शुभ है संक्रांति
ज्योर्तिविद राजेश साहनी इस वर्ष की मकर संक्रांति 30 मुहूर्ति होकर अश्वनी नक्षत्र सिद्ध योग तथा नवमी तिथि में पडक़र अत्यंत शुभ योगों का निर्माण कर रही है। संक्रांति काल में सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि एवं रवि योग संक्रांति के महापर्व को और अधिक पुण्यदाई बना रहा है। संक्रांति का वाहन सिंह तथा उप वाहन गज है।
इस बार मकर संक्रांति श्वेत वस्त्र धारण किए हुए सिंह पर सवार होकर प्रवेश होगी तथा उन्होंने स्वर्ण पात्र में अन्न ग्रहण किया होगा। संक्रांति का गमन उत्तर दिशा की ओर होगा तथा ईशान कोण पर इसकी दृष्टि रहेगी। देव जाति की यह संक्रांति आभूषण पुष्प एवं माला धारण करते हुए वैश्य के घर में प्रवेश कर रही है, जो व्यापारी वर्ग के लिए लाभप्रद मानी जा रही है। नक्षत्र के अनुसार धवांची नामक यह संक्रांति अत्यंत शुभ है।
परंपरागत रूप से मकर संक्रांति का उत्सव, मेला एवं पर्व 14 जनवरी को मनाया जा जाएगा। स्नान दान का विशेष पुण्य काल 15 जनवरी को होगा।
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त
सूर्य देव 14 जनवरी सोमवार को रात्रि 7.51 बजे कर्क लग्न में मकर राशि में प्रवेश करेंगे एवं यहीं से संक्रांति काल प्रारंभ हो जाएगा। इस वर्ष मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को प्रात: काल 6.54 से लेकर दोपहर 12.14 तक रहेगा। जिसकी कुल अवधि 5 घंटे 19 मिनट की होगी।
मकर संक्रांति के स्नान दान में महापुण्य काल मुहूर्त का विशेष महत्व है जो 15 जनवरी को प्रात: 6.54 से प्रात 8.40 बजे तक रहेगा। इसकी कुल अवधि एक घंटा 45 मिनट होगी। इस अवधि में सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग संक्रांति के पुण्य काल को और अधिक शुभत्व प्रदान कर रहे हैं।
कैसे मनाएं मकर संक्रांति
मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति से दिन तिल भर बड़ा होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर तिल का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढक़र पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। इस दिन सूर्य के साथ शिव के पूजन का विशेष महत्व माना जाएगा।
तिल युक्त जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल युक्त जल का सेवन, तिल का भोजन, तिल से हवन और तिल का दान किया जाना चाहिए। संक्रांति प्रारंभ होने के बाद स्नान आदि से निवृत होकर सूर्य को अर्घ देने के बाद यथासंभव दान किया जाना शास्त्र सम्मत माना गया है। पिछले 1 माह से चला आ रहा धनु नामक खरमास भी मकर संक्रांति के शुभ योगों के साथ समाप्त हो जाएगा। 15 जनवरी से मंगल मुहूर्त जो कि सुप्त पड़े हुए थे जागृत हो उठेंगे।
राशि अनुसार संक्रांति के फल
इस वर्ष की मकर संक्रांति मेष मिथुन एवं वृश्चिक राशि वालों के लिए सोने के पाए में आने से विशेष शुभ फलदाई है। सिंह धनु एवं मीन राशि वालों के लिए चांदी के पाए में होने से मिश्रित परिणाम दायक रहेगी। कर्क तुला तथा कुंभ राशि वालों के लिए मकर संक्रांति तांबे के पाए में आने से मध्यम फलदाई रहेगी। वृषभ कन्या एवं मकर राशि वालों के लिए संक्रांति लोहे के पाए में होने से शुभ नहीं होगी।