पंच सरपंचों को सिर्फ मासिक भत्ता चुने हुए जनप्रतिनिधियों में आर्थिक रूप से सबसे खराब स्थित पंचायत के पंच और सरपंच की है। शासन द्वारा इन्हें किसी प्रकार का मानदेय नहीं दिया जाता। सरपंच को 1700 रुपए तथा पंचों को प्रति माह मात्र 200 रुपए मासिक भत्ता मिलता है। इसके अलावा शासन द्वारा इन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी जाती। हालत यह है कि पंचायत का मुखिया होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर सरपंचों को परिवार चलाने के लिए अलग से मजदूरी करनी पड़ती है।
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चुने हुए निकाय प्रतिनिधियों को वेतन भत्ते देने में नगर निगम सबसे आगे है। नगर निगम महापौर को वेतन भत्ते के रूप में हर माह 15 हजार रुपए और वाहन डीजल की व्यवस्था अलग से करता है। इसी प्रकार निगम अध्यक्ष को 12 हजार तथा पार्षदों को 6000 रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है। जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष को महज 11 हजार रुपए ही मानदेय के रूप में मिलते हैं।