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हर बच्चे को ये टीका क्यों है जरूरी, पर ध्यान रहे खाली पेट नहीं लगेगा

locationरीवाPublished: Jan 13, 2019 06:36:49 pm

Submitted by:

Manoj singh Chouhan

टीकाकरण से पहले भोजन करना जरूरी, खाली पेट नहीं लगेगा टीका

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रीवा. मीजल्स-रूबेला टीकाकरण के पूर्व भोजन करना जरूरी है। यह टीका खाली पेट नही लगाया सकता। बच्चे एवं उनके अभिभावकों से यह सुनिश्चित कर लें कि बच्चे ने भोजन किया है या नहीं। टीका लगाने पर न ही किसी प्रकार का दर्द होता है और न ही बच्चों को बुखार आएगा। शनिवार को मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान को लेकर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में यह बात विशेषज्ञों ने कही। जेडी हेल्थ डॉ. एसके सालम ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए उसके प्रति जागरुकता बहुत जरूरी है।
शत प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अभियान के प्रति जनजागृति के लिए सहयोग प्रदान करने का उन्हांने आह्वान किया है। सीएमएचओ डॉ. आरएस पांडेय ने बताया कि यह अभियान निर्धारित स्थलों स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों एवं स्वास्थ्य केंद्रो में चलाया जाएगा। टीकाकरण के दिन विद्यालयों में बालसभा एवं मनोरंजक कार्यक्रम भी रखा जा सकता है। उपसंचालक स्वास्थ्य डॉ. नन्दिनी पाठक एवं डीआइओ डॉ. बसंत अग्निहोत्री ने बताया कि अभियान 15 जनवरी से स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रो एवं शासकीय स्वास्थ्य केंद्रो में प्रारम्भ होगा।
इस दौरान 9 माह से 15 वर्ष आयु के समस्त बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. विनय कौशिक, सिविल सर्जन डॉ. संजीव शुक्ला, डॉ. हरिश्चंद्र मिश्र, डॉ. डीपी अग्रवाल, डॉ. सुनील अवस्थी, डॉ. शिवम पयासी, महेंद्र उपाध्याय, नरेंद्र द्विवेदी, वीपी सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।
वायरस से बच्चे अपंगता के शिकार
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय की शिशु रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति सिंह ने बताया कि खसरा एक जानलेवा बीमारी है। इसके वायरस से बच्चे अपंगता के शिकार हो जाते हैं। यह प्रभावित व्यक्ति के खांसने व छीकने से फैलता है। खसरे के आम लक्षणों में तेज बुखार, त्वचा पर चकत्ते, खांसी, बहती नाक और आंखे लाल होना है।
महिला की गर्भावस्था के आरम्भ में रूबेला संक्रमण होने पर सीआरएस जन्मजात रूबेला सिन्ड्रोमद्ध विकसित हो सकता है, जो नवजात शिशुओं के लिए गंभीर व घातक हो सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान रूबेला से संक्रममित माता से जन्में बच्चों में इससे पीडित होने की संभावना बढ़ जाती है। आंख, कान, दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के डॉ नरेश बजाज सहित अन्य चिकित्सकों ने सलाह दी है कि कहा कि ९ माह से १५ साल तक के बच्चों को टीका लगवाएं।
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