मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. पुष्पेन्द्र शुक्ला ने बताया कि पूर्व में सरकार के सामने मांगे रखी गई थी, आश्वासन मिला था कि जल्द ही निराकरण होगा लेकिन अब तक नहीं हुआ है। इसलिए पहले मेडिकल कालेज में सांकेतिक प्रदर्शन होगा, इसके बाद 17 सितंबर को भोपाल में महारैली आयोजित की जा रही है। जिसमें पूरे प्रदेश से मेडिकल टीचर्स जुटेंगे। इसके बाद भी सरकार मांगों को पूरा नहीं करेगी तो आगामी ३० सितंबर को सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया जाएगा। इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. सुधाकर द्विवेदी, सचिव डॉ. पुष्पेन्द्र मिश्रा, डॉ. केडी सिंह, डॉ. गीता त्रिपाठी, डॉ. विष्णु पटेल, डॉ. अंबरीश मिश्रा, डॉ. मोहिता पाण्डेय, डॉ. अनुराग चौरसिया, डॉ. हरिओम गुप्ता, डॉ. अतुल कुमार झा सहित अन्य मौजूद रहे।
इन मांगों को लेकर प्रदर्शन मेडिकल टीचर्स की प्रमुख रूप से दो मांगें ही सरकार के सामने हैं। जिसमें प्रमुख रूप से सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापक को १३ वर्ष सेवाकाल एवं चिकित्सा शिक्षक प्रदर्शक को १६ वर्ष के सेवाकाल में विभागीय समयबद्ध क्रमिक उच्चतर वेतनमान एक जनवरी २०१६ से प्रदान करने एवं शासकीय चिकित्सा शिक्षक संचालक, अधिष्ठाता, प्राध्यापक, सह प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं प्रदर्शक-ट्यूटर को एक जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान चिकित्सा संवर्ग का दिए जाने की मांग शामिल है। इसके पहले १३ सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन किया गया था। जिसमें कई मांगे पूरी हो चुकी हैं। सभी मांगों के लिए दस दिन का समय दिया गया था लेकिन दो माह से अधिक का समय बीत चुका है।
ज्ञापन में वचन पत्र याद दिलाया प्रदर्शन के बाद मेडिकल टीचर्स ने कॉलेज के डीन को चिकित्सा शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान वचन पत्र में कांग्रेस पार्टी ने यह आश्वासन दिया था कि चिकित्सा शिक्षकों की लंबित सभी मांगों को पूरा किया जाएगा लेकिन अब तक अपने वचन पत्र की ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है।
डॉक्टर्स के प्रदर्शन का स्वास्थ्य सेवा पर असर नहीं मेडिकल कॉलेज के शिक्षकों की ओर से सांकेतिक रूप से प्रदर्शन किया गया। इसका असर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर नहीं पड़ा। अधिकांश विभागों के डॉक्टर ओपीडी में बैठकर मरीजों को चिकित्सीय परामर्श देते रहे। जिसमें कई बड़े डॉक्टर भी शामिल थे। बताया गया है कि यह सांकेतिक प्रदर्शन था, चिकित्सकों ने ही तय किया था कि वह मांगों के लिए प्रदर्शन करेंगे लेकिन मरीजों की उपचार व्यवस्था नहीं रोकी जाएगी। इसी के चलते जूनियर डॉक्टर्स के साथ ही कई सीनियर ने भी ओपीडी में अपनी सेवाएं दी। साथ ही जिस दौरान यह प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही थी, उस दौरान भी संजयगांधी और गांधी स्मारक अस्पताल में मरीजों को उपचार दिया गया।