scriptपत्रिका अभियान नया भारतः डेयरी उद्योग को मिले गति तो प्रवासी मजदूरों को मिल सकता है रोजगार | migrant laborers can get employment By promoting dairy industry | Patrika News

पत्रिका अभियान नया भारतः डेयरी उद्योग को मिले गति तो प्रवासी मजदूरों को मिल सकता है रोजगार

locationरीवाPublished: Jun 18, 2020 01:08:02 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-दूध से प्रतिदिन हो सकेगी आय- नाबार्ड व अन्य योजनाओं से मिल रहा अनुदान

dairy industry

dairy industry

रीवा. कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के चलते महानगरों में काम-धंधा बंद होने के बाद बड़ी संख्या में मजदूर बाहर से वापस गांव आ गए हैं। वर्तमान परिस्थिति में ये श्रमिक जल्द वापस लौटने को तैयार नहीं है। गांव में भी इतने रोजगार के साधन नहीं है कि लोगों को तत्काल रोजगार उपलब्ध हो सके। ऐसे में दुग्ध उत्पादन ऐसा स्वरोजगार है जो कम लागत और कम समय में अधिक से अधिक लोगों के लिए लाभ को रोजगार दिला सकता है। इसके लिए सरकार नाबार्ड व अन्य योजनाओं में अनुदान भी मिल रहा है।
बताया जा रहा है कि जिले में 40 हजार लीटर दूध की रोजाना खपत है। इसके विरुद्ध दूध का उत्पादन कम है। परिणाम स्वरुप अन्य जिलों से दूध मगाना पड़ता है। ऐेसे में गांवों में डेयरी संचालित कर स्वरोजगार से लोगों को जोडऩे से गांवों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। साथ ही गांवों से लोगों का पलायन भी रुकेगा। एरा प्रथा पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है।
समितियों को करना होगा सक्रिय

जिले में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए गांवों में दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन किया गया है। लेकिन इस समय यह समितियां बंद हो गई हैं। इन समितियों को सक्रिय कर गांवों में दुग्ध सेंटर व प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा सकती है। इससे गांव में लोगों को दूध का कलेक्शन सेंटर से भी रोजगार सृजित किया जाएगा।
10 गांवों में कर रहे है काम

दुग्ध व्यवसाय में लॅाकडाउन के अंतर्गत तंराई आंचल के 10 गांवों में दूध कलेक्शन काम प्रांरभ हुआ है तो इन गांवों के लोग पशुपालन की ओर बढऩे लगे है। दरअसल जिस दूध की कीमत उन्हें 25 से 30 रुपए में मिल रही है। वहीं कलेक्शन सेंटर खुलने के बाद 45 से 50 रुपए तक मिल रही है। इससे लोग इस व्यवसाय में जुडऩे लगे।
70 फीसदी है व्यवसायिक उपयोग
वर्तमान में दुग्ध का जो उत्पादन हो रहा है। उसका 70 फीसदी हिस्सा व्यवसायिक कामों में उद्योग के लिए हो रहा है। 30 फीसदी ही खाने-पीने के उपयोग में हो रहा है। ऐसे मे दूध उत्पादन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। इसके साथ ही गाय व भैंस के मूत्र से कीटनाशक दवाओं का उपयोग होने से बड़ी संभावनाएं है।
कोट
“लॉक डाउन की स्थिति में डेयरी उद्योग में अपार संभावनाएं है। इससे अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार मिलेगा। साथ ही गांव में लोगो को घर बैठे स्वरोगार कर सकते है। इस दिशा में लोगों को आगे आना चाहिए है। इसके लिए शासन की अनेक योजना नाबार्ड से चल रही है।” – यूबी तिवारी, महाप्रबंधक, जिला व्यापार एवं उद्योग

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