किराएदार और मकान मालिक के बीच किसी तरह के विवाद की सुनवाई के लिए अलग प्राधिकरण गठित किया जाएगा। कानून लागू होने के बाद मकान मालिक और किराएदार के बीच किसी भी तरह कोई समस्या की सुनवाई किराया प्राधिकरण और किराया न्यायालय में की जाएगी। इसकी अपील सिविल न्यायालय में नहीं होगी।
मकान मालिक के तय किए गए दायित्व में मकान और दरवाजे, खिड़की के पेंट की जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी। नलों की मरम्मत हो या पाइप में खराबी हो, इन सबको मकान मालिक ही कराएगा। साथ ही इलेक्ट्रिक वायरिंग और बड़े बिजली से जुड़े सभी काम भी मकान मालिक के जिम्मे होंगे।
– किराएदारों की जिम्मेदारी
नल वॉशर और नलों को बदलने की जिम्मेदारी किराएदार की होगी। टॉयलेट, वॉश बेसिन, गीजर, बॉथ टब, नाली सफाई जैसे कार्य किराएदार को कराने होंगे। इलेक्ट्रिक सॉकेट, स्विच, पंखे और छोटे बिजली उपकरणों का मेंटनेंस भी किराएदार को स्वयं करानी होगी।
नगरीय प्रशासन विभाग ने मॉडल रेंटल एक्ट को लेकर अपने पोर्टल पर तो गाइडलाइन जारी की है और उसमें लोगों से सुझाव देने के लिए कहा है। इसके साथ ही नगर निगम को भी निर्देशित किया गया था कि वह शहर के लोगों से संवाद स्थापित कर नए एक्ट के बारे में जानकारी दें और यदि कोई इसमें किसी तरह के संशोधन की मांग करता है या सुझाव देना चाहता है तो उसकी पूरी जानकारी नगर निगम विभाग के संचालनालय को भेजेगा। रीवा में करीब महीने भर से अधिक का समय बीत गया और आखिरी दिन तक किसी तरह की व्यवस्था नहीं बनाई गई।
– अब आधिकारिक रूप से मकानमालिक और किराएदारों की जिम्मेदारी तय होगी।
– जिले में किराया प्राधिकारी में डिप्टी कलेक्टर, रेंट कोर्ट के लिए अतिरिक्त कलेक्टर होंगे। किराया न्यायालय के संचालन के लिए जिला न्यायाधीश या अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नियुक्त किए जाएंगे।
– मकान मालिक और किराएदार का करारनामा उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों पर भी लागू होगा।
– किराएदार की मृत्यु के तत्काल बाद उत्तराधिकारी से जबरिया मकान खाली नहीं कराया जा सकेगा।
– मकान मालिक और किराएदार के बीच सहमति से ही किराया तय होगा।
– अधिनियम लागू होने के बाद सिविल कोर्ट में अपील या वाद दायर नहीं हो सकेगा।