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अंकसूची का प्रोफार्मा गायब होने के मामले में पुलिस रही उदासीन, कई पुलिस अधिकारी भी संदेह के दायरे में

locationरीवाPublished: Feb 23, 2020 07:56:51 pm

Submitted by:

Mrigendra Singh

– माडल साइंस कालेज से 300 की संख्या में प्रोफार्मा चोरी होने का मामला- फर्जी अंकसूची बनाने वाले गिरोह का पता नहीं लगाया गया

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रीवा। माडल साइंस कालेज से बड़ी संख्या में मार्कसीट का प्रोफार्मा गायब होने के मामले में पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कालेज प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज कराई और पुलिस ने साधारण चोरी का मामला मानते हुए इसकी विवेचना में पूरी तरह से उदासीन रवैया अपनाया। कालेज के कुछ अधिकारी, कर्मचारियों की भूमिका पहले ही सवालों के घेरे में रही है। शहर में फर्जी अंकसूची तैयारी करने वाले गिरोह तक कालेज के तार जुड़े होने की आशंका है। पुलिस की ओर से इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। माडल साइंस कालेज की ओर से सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने उन कर्मचारी, अधिकारियों से गहन पूछताछ नहीं की जिनकी जिम्मेदारी अंकसूची का प्रोफार्मा संधारित करने की ड्यूटी होती है। कालेज परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बाद भी ३०० की संख्या में चोरी गए अंकसूची के प्रोफार्मा का पता लगाने का प्रयास नहीं किया गया। कुछ दिन पहले ही सतना के जिला रोजगार अधिकारी अमित सिंह फर्जी अंकसूची के मामले में गिरफ्तार हुआ तो उसने पुलिस को बताया है कि माडल साइंस कालेज से फर्जी अंकसूची उसने रुपए देकर बनवाए थे। ऐसे में कालेज प्रबंधन की भूमिका सीधे तौर पर सवालों में है। वहीं तीन सौ की संख्या में खाली प्रोफार्मा सील के साथ गायब हुआ है। जिसकी वजह से आशंका है कि फर्जी अंकसूची बनाने वाले गिरोह तक उसे पहुंचाया गया है, ताकि सील लगाकर वह अंकसूची बेच सकें। कालेज के प्राचार्य भी मानते हैं किस कालेज से गायब हुए इस प्रोफार्मा का दुरुपयोग किया जा सकता है। उसमें केवल नाम और प्राप्तांक भरना होगा। ऐसे में माडल साइंस कालेज से जारी होने वाली वास्तविक अंकसूचियां भी सवालों के घेरे में आएंगी।
– सत्यापित अंकसूची का रिकार्ड भी नहीं
नौकरियां पाने वाले लोगों के दस्तावेजों का सत्यापन कराने की प्रक्रिया है। इसके लिए जिस कालेज से अंकसूची जारी होती है उससे भी सत्यापित कराया जाता है। माडल साइंस कालेज में ऐसे पत्रों की जानकारी के लिए रजिस्टर भी बनाया गया है लेकिन उसमें कई सत्यापन से जुड़ी जानकारी दर्ज ही नहीं की गई हैं। सूत्रों की मानें कालेज के कुछ प्रोफेसर और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है।
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