रीवा

आपके लजीज स्वाद में ऐसी मिलावट की जानकर रह जाएंगे हैरान, हर दिन आप कर रहे सेवन

मिलावटखोरी की जांच दूध सेंपल तक सीमित, फुल्की के जलजीरे में बैट्री के एसिड का धड़ल्ले से उपयोग- मसालों की पैकट बंद सामग्री में भी मिलावट, दुकानदार भी हो रहे परेशान- जांच का अभियान कराया शुरू फिर भी आ रही सामग्री

रीवाAug 08, 2019 / 11:52 am

Mrigendra Singh

More on adulteration in Rewa, administration started action

रीवा। प्रदेश सरकार ने मिलावटखोरी पर शिकंजा कसने का अभियान चला रखा है। रीवा में भी जांच शुरू की गई है लेकिन अभी तक दूध एवं उससे बनी सामग्री पर ही फोकस किया जा रहा है। जबकि खाने-पीने से जुड़ी ऐसी कई सामग्रियां खुले मार्केट में बेंची जा रही हैं, जो सेहत के लिए खतरा उत्पन्न करने वाली हैं।
दूध से बनी सामग्रियों में मिलावट लंबे समय से की जा रही है, खोवा यहां बाहर से आता है जिसमें व्यापक पैमाने पर मिलावट होती है। इसके पहले कई बार पकड़ा भी जा चुका है। रीवा शहर में केवल दूध और उससे बनी सामग्री ही मिलावट के प्रभाव में नहीं है बल्कि अन्य कई खानपान से जुड़ी ऐसी वस्तुएं हैं, जिनका सेवन लोग कर रहे हैं। सेहत के लिए यह खतरा बताई गई हैं। शहर में फुल्की और चाट खाने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
इस कारोबार से जुड़े अधिकांश ऐसे लोग हैं जो फुल्की का जलजीरा बनाने में बैट्री से निकले एसिड का उपयोग करते हैं। यह जीभ में पहुंचते ही तीखेपन का एहसास कराता है। बताया गया है कि तीन से चार लीटर जलजीरा सामान्य रूप में ही बनाया जाता है और उसमें जरूरी चीजें डाली जाती हैं। इसके बाद बैट्री एसिड तीन से चार चम्मच की मात्रा में मिलाया जाता है और पानी की मात्रा बढ़ाकर इसे करीब दस लीटर तक बना दिया जाता है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर शिल्पी प्लाजा के पास ठेला लगाने वाले युवक ने बताया कि एसिड मिलाने का प्रचलन बाहर से आए दुकानदारों ने शुरू किया है। जिसका उपयोग अब स्थानीय ठेले वाले भी करने लगे हैं। शहर के सर्राफा मार्केट में यह एसिड सहजता से मिल जाता है। ठेलों में टमाटर का स्वास भी मिलावट का शिकार है, इसमें भी केमिकल डाला जाता है।

– मसाले पर मिलावट सबसे अधिक
हल्दी में किनकी- सबसे अधिक हल्दी में मिलावट हो रही है, पहले इसमें बेसन मिलाया जाता था फिर आरारोट का उपयोग शुरू हुआ। अब किनकी(टूटे चावल) को पीसकर मिलाया जाता है। साथ ही पीला रंग डाल दिया जाता है, जिसे पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। 10-12 रुपए प्रति किलो बिकने वाली किनकी की हल्दी 150 रुपए से अधिक में बेंची जा रही है। शहर के व्यापारी ही यह मिलावट कर रहे हैं।
– मिर्ची पाउडर में गेरू और तेजाब- मिर्ची पाउडर में गेरू को मिलाया जाता है। मार्केट में नहीं बिकने वाली सड़ी-गली मिर्ची को पीसकर उसमें लाल रंग के गेरू(कलर) को मिलाया जाता है। तीखापन महसूस कराने के लिए चांदी साफ करने वाले तेजाब को मिला दिया जाता है। इस मिर्ची को खाने पर मुंह जलने लगता है, लोग समझते हैं तीखापन है।
– नमकीन में खारा सोडा- शहर की किराना दुकानों में सादे पैकट में मिलने वाले नमकीन में खारा सोड़ा मिलाया जाता है। नमकीन को कड़क और अलग स्वाद बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
– बेसन में किनकी– खाने की कई वस्तुओं में इनदिनों किनकी का उपयोग किया जा रहा है। चने की कीमत अधिक होने की वजह से किनकी पीसकर इसमें मिलाई जाती है और पीलापन दिखने के लिए रंग डाला जाता है। इसे पहचान पाना मुश्किल होता है।

– ये भी मिलावट के शिकार-
– काली मिर्च में पपीते का दाना।
– पोस्ता दाना में सूजी।
– रसगुल्ला पाउडर में भी सूजी का उपयोग।
– फसही में सामान्य चावल रंगकर मिक्सिंग।
– खोवा में आलू और मैदा।
दुकानदारों को भी हो रही फजीहत
मिलावटखोरी का शिकार केवल आम उपभोक्ता ही नहीं हो रहे हैं, बल्कि इससे दुकानदारों की भी फजीहत हो रही है। दुकानदारों का कहना है कि कई बार मिलावट से परेशान ग्राहक सामग्री लेकर वापस करने पहुंच जाता है। ग्राहक को नाराज नहीं कर सकते इसलिए दूसरी सामग्री देनी पड़ती है।


दूध एवं उससे बनी सामग्री के नमूने लगातार लिए जा रहे हैं। इन्हें भोपाल स्थित लैब में भेजा है अभी रिपोर्ट नहीं आई है। तेल की जांच करना है लेकिन अपने यहां इसकी कंपनियां नहीं हैं, दुकानों से सेंपल लिए जा रहे हैं। मसाले पर भी जांच होगी। चाट-फुल्की को लेकर शिकायतें आ रही हैं, इस पर भी कार्रवाई होगी।
ओपी साहू, जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी


मसाले में मिलावट की आशंका अधिक होती है, इसलिए हमने ब्रांडेड और पैकट बंद सामग्री बेचना शुरू किया है। मिलावट चाहे भले ही किसी दूसरी जगह से होकर आए लेकिन ग्राहक हमसे सामग्री लेता है तो जवाबदेही हमारी ही बनती है। इसलिए खुला मसाला बेचना बंद किया।
केके गुप्ता, किराना व्यापारी


मसाले के साथ अन्य सामग्री में भी मिलावट तेजी से बढऩे लगी है। खासतौर पर उन स्थानों पर लोग अधिक इसके शिकार हो रहे हैं, जहां खुली सामग्री बेची जाती है। इसी वजह से ब्रांडेड एवं जो पहले से भरोसेमंद कारोबारी हैं उनके यहां से सामग्री मंगाते हैं।
किशोर ठारवानी, किराना के थोक विक्रेता


सस्ता पाने के चक्कर में अब भी करीब ६० फीसदी लोग खुला मसाला खरीद रहे हैं। कई मसाले तो खुले ही बिकते हैं पैकट में बहुत कम मिलते हैं। बीते कुछ वर्षों से रीवा में भी मिलावट का कारोबार बढ़ा है। हमारा भी मानना है कि सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर कार्रवाई होना चाहिए।
अनिल केसरी, मसाले के थोक विक्रेता
 
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