बताया जा रहा है कि मनगवां-चाकघाट सड़क निर्माण के दौरान 3116 पेड़ काटने की अनुमति प्रशासन ने एंजेसी को दी थी। इनमें निर्माण करने वाली टापवर्थ कपंनी 2580 पेड़ काटने का दावा कर रही है। वहीं रीवा हनुमना मार्ग में 3580 पेड़ काट गए हैं। अनुबंध की शर्तों के अनुसार इन पेड़ों को काटने के बाद लकड़ी का भौतिक सत्यापन वन विभाग की टीम को करना था। इसके बाद काटे गए पेड़ों की लकड़ी को खुली नीलामी में बेचकर राजस्व विभाग के खाते में जमा करना था। लेकिन इसके बिपरीत सड़क निर्माण में लगी कंपनी ने पेड़ों की कटाई के बाद मनमानी तरीके से लकड़ी खुर्द-बुर्द कर दी। बताया जा रहा है कि अब डिपो में पचास फीसदी भी लकड़ी नहीं बची है। वहीं पांच साल बाद अब कलेक्टर ने इस मामले में भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं।
बीच में कंपनी ने छोड़ दिया काम-
बताया जा रहा है टापवर्थ ने मनगवां-चाकघाट एवं रीवा-हनुमना सड़क का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन को दिया था। इस कंपनी के बीच भुगतान को लेकर विवाद की स्थित बन गई। ऐसे में कपंनी ने काम बंद कर दिया है। यही कारण है कि अब लकड़ी का न तो सत्यापन हो पाया और न ही नीलामी। वहीं पांच साल से अधिक तक नीलाम नहीं होने से शेष लकड़ी अब सिर्फ जलाऊ उपयोग के लिए बची है। जबकि यदि समय पर नीलामी कराई जाती तो इनका उपयोग इमारती लकड़ी के रुप में किया जा सकता था।
बीच में कंपनी ने छोड़ दिया काम-
बताया जा रहा है टापवर्थ ने मनगवां-चाकघाट एवं रीवा-हनुमना सड़क का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन को दिया था। इस कंपनी के बीच भुगतान को लेकर विवाद की स्थित बन गई। ऐसे में कपंनी ने काम बंद कर दिया है। यही कारण है कि अब लकड़ी का न तो सत्यापन हो पाया और न ही नीलामी। वहीं पांच साल से अधिक तक नीलाम नहीं होने से शेष लकड़ी अब सिर्फ जलाऊ उपयोग के लिए बची है। जबकि यदि समय पर नीलामी कराई जाती तो इनका उपयोग इमारती लकड़ी के रुप में किया जा सकता था।
10 गुना लगाने है वृक्ष-
अनुबंध की शर्तो के अनुसार कंपनी को काटे गए वृक्षों की किस्म के अनुसार 10 गुना पौधे रोपित कर वृक्ष तैयार करना है। लेकिन कपंनी पांच सालों में पौधे लगाने को लेकर कितनी सक्रिय है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक पौधे तैयार नहीं हो पाए हैं। विधानसभा में मामला पहुंचाने पर टोल वसूल रही कंपनी ने बड़े- बडे पौधे रोपित कर गणना पूरी कर दी थी, लेकिन वह सब सूख चुके हैं। कंपनी का दावा है 6696 पौध रोपित किया गए हैं।
जल्द होगी नीलामी
कंपनी द्वारा अनुबंध के शर्तों के तहत काटे गए वृक्षों की लकड़ी के निष्पादन की प्रकिया प्रचलन में है। वृक्षों की लकड़ी का सत्यापन वन विभाग से कराया जाएगा। जल्द ही नीलामी प्रक्रिया प्रांरभ होगी।
राजेन्द्र सिंह चंदेल, क्षेत्रीय महाप्रबंधक एमपीआरडीसी
अनुबंध की शर्तो के अनुसार कंपनी को काटे गए वृक्षों की किस्म के अनुसार 10 गुना पौधे रोपित कर वृक्ष तैयार करना है। लेकिन कपंनी पांच सालों में पौधे लगाने को लेकर कितनी सक्रिय है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक पौधे तैयार नहीं हो पाए हैं। विधानसभा में मामला पहुंचाने पर टोल वसूल रही कंपनी ने बड़े- बडे पौधे रोपित कर गणना पूरी कर दी थी, लेकिन वह सब सूख चुके हैं। कंपनी का दावा है 6696 पौध रोपित किया गए हैं।
जल्द होगी नीलामी
कंपनी द्वारा अनुबंध के शर्तों के तहत काटे गए वृक्षों की लकड़ी के निष्पादन की प्रकिया प्रचलन में है। वृक्षों की लकड़ी का सत्यापन वन विभाग से कराया जाएगा। जल्द ही नीलामी प्रक्रिया प्रांरभ होगी।
राजेन्द्र सिंह चंदेल, क्षेत्रीय महाप्रबंधक एमपीआरडीसी