रीवा, सीधी और सिंगरौली की अपेक्षा सतना में दो गुना से अधिक मजदूरों की दिहाड़ी बकाया है। बजट के अभाव में अकेले सतना में 8.36 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान लटका है। जबकि रीवा और सीधी में लगभग ढाई-ढाई करोड़ तो सिंगरौली में दो करोड़ रुपए बकाया है। उदाहरण के तौर पर रीवा के गंगेव, नईगढ़ी, हनुमना और मऊगंज सबसे ज्यादा मजदूरी बकाया है।
हनुमना जनपद सहित जिले के ज्यादातर ग्राम पंचायत के मजदूर ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिला स्तर पर अधिकारियों से मजदूरी भुगतान के लिए अफसरों की चौखट पर चक्कर लगा रहे हैं। जवा की कमला साकेत, मऊगंज के रामदेव आदिवासी ने बताया कि मनरेगा में समय से मजदूरी नहीं मिलने के कारण काम की तलाश में शहर जाना पड़ता है। ऐसे में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मजदूरों के लिए बेमानी है। उधर, मनरेगा साइट के आंकड़े में प्रदेश स्तर पर 189 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान बकाया है।
संभाग में सबसे अधिक बकाया सतना जिले का है। यहां पर जिला स्तर पर 8 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है। 1.72 लाख रुपए मजदूरी और 6.65 करोड़ रुपए से अधिक मटेरियल का भुगतान शेष है। हैरान करने वाली बात तो यह कि रीवा जिले कुल बकाया के बराबर सतना के नागौद जनपद में 2.33 करोड़ रुपए का भुगतान शेष है।
रीवा 236.02, सतना 838.68, सीधी 267.16, सिंगरौली 204.42, कुल 1546.47
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नोट: आंकड़े 10 फरवरी की स्थिति में, मनरेगा एमआइएस फीडिंग रिपोर्ट से लिया गया है।