‘पत्रिका” में प्रकाशित खबर के बाद कलेक्टर ने भी मामले में गंभीरता बरती है और तत्काल सहकारिता के जेआर को पूरी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। जिसकी वजह से सहकारी बैंक में पूरे दिन अधिकारी घोटाले की अब तक की जानकारी जुटाने में लगे रहे। इस घोटाले में बैंक के तीन पूर्व महाप्रबंधकों के साथ ही डभौरा ब्रांच का पूरा स्टाफ आरोपी है।
इन सबने मिलकर करीब २६ करोड़ रुपए का घपला किया है। बैंक के कई लोगों पर एफआइआर दर्ज हो चुकी है, कुछ जेल में हैं, कुछ बाहर आ गए और कई अब भी फरार चल रहे हैं। इन कर्मचारियों ने अपने करीबियों के खाते में सहकारी बैंक के संड्रीज एकाउंट की राशि ट्रांसफर कर व्यापक पैमाने पर घपला किया है। एक ओर बैंक प्रबंधन अब तक घोटाले की रकम की भरपाई नहीं कर पाया है, वहीं इसकी जांच कर रहे सीआइडी भोपाल की टीम की भूमिका भी लगातार सवालों के घेरे में है।
सीआइडी की पुरानी जांच टीम में कोई भी सदस्य नहीं बचा है। रीवा ब्रांच के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन स्टाफ नहीं दिया गया है, जिसकी वजह से जांच ठंडे बस्ते में जा रही है। जिला सहकारी बैंक प्रशासक कलेक्टर ही हैं, इसलिए उनकी अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जिसे हर महीने समीक्षा के लिए बैठक करना होता है। बीते लंबे समय से इसकी नियमित बैठक नहीं हो पा रही है।