महाविद्यालय में कई ऐसे समूह की कक्षाएं संचालित हैं जहां पर निर्धारित सीटों की संख्या पहले से ही इतना अधिक बढ़ा दी गई थी कि उनमें कभी संख्या के अनुसार छात्र प्रवेश के लिए नहीं आए। बीए आनर्स उर्दू में 151 सीटों में 2, दर्शन में 4, संस्कृत में छह , गणित में 13, संगीत में 9, हिन्दी में 18, अंग्रेजी में 29, अर्थशास्त्र में 92, भूगोल में 92, इतिहास में 69, समाजशास्त्र में 28 सीटें केवल भरी हैं, जबकि अन्य खाली रह गई हैं। कई समूह तो ऐसे हैं जहां पर पांच से दस प्रतिशत तक ही सीटें भर पाई हैं। बताया जा रहा है कि दस प्रतिशत सीटें इस बार शासन की ओर से बढ़ाई गई थी, जिससे प्रवेश का प्रतिशत और कम रह गया।
कई ऐसे समूह हैं जहां पर बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं। उसमें प्रमुख रूप से बीकाम आनर्स में 425, बीएससी आनर्स वनस्पति शास्त्र में 40, बीएससी रसायन आनर्स 267, भौतिकी आनर्स में 394, जंतु विज्ञान आनर्स में 111, बीकाम सीए में 203, बीसीए में 315, बीबीए में 79 सहित अन्य सभी में इसी तरह से सीटें खाली रह गई हैं। पीजी में भी यही हाल रहा है। एमए अंग्रेजी में 27, भूगोल में 25, इतिहास में 41, संगीत में 65, दर्शनशास्त्र में 75, राजनीति विज्ञान में 28, एमकाम में 116, एमएससी कम्प्यूटर में 74 सीटें खाली रह गई हैं। वहीं दो ऐसी कक्षाएं हैं जहां पर एक भी प्रवेश नहीं हुआ है।
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महाविद्यालय में इतनी अधिक संख्या में सीटें हैं कि सभी नहीं भर पाती। खासतौर पर कला संकाय के कई ऐसे समूह हैं जिनमें कम संख्या में छात्र आते हैं। पहले भी ऐसी ही स्थिति रहती थी। साइंस और कामर्स में संख्या के मुताबिक प्रवेश दिए जा रहे हैं। इस साल आखिर में शासन ने सीटें बढ़ाई, इस वजह से कुछ सीटें खाली रह गई हैं।
प्रो. रामलला शुक्ला, प्राचार्य टीआरएस कालेज रीवा