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इन अधिकारियों पर दर्ज हुआ मामला
लोकायुक्त रीवा इकाई ने आर्थिक अनियमितता के मामले जिन अधिकारियों को आरोपी बनाया है, उसमें प्रमुख रूप से एसए करीम तत्कालीन मुख्य अभियंता, एमपी चतुर्वेदी, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री मण्डल रीवा, राममूर्ति गौतम तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग संभाग रीवा, विनोद ओझा तत्काकालीन उपयंत्री एवं प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी, अजय कुमार आर्य तत्कालीन उपयंत्री, पीके पाण्डेय तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, भूपेन्द्र सिंह तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, ओपी मिश्रा तत्कालीन उपयंत्री, आरपी पाण्डेय तत्कालीन उपयंत्री आदि शामिल हैं।
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फर्जी भुगतान के चलते फंसे अधिकारी
शिकायत दर्ज कराई गई थी कि आरोपियों द्वारा गुरमा जलाशय के मार्डनाईजेशन एवं वाटर रिस्टक्चरिंग योजना के ठेके वाले काम में फर्जी भुगतान, गुरमा जलाशय के अलावा बेलहा जलाशय में पुराने कार्य पर नया कार्य कराने एवं कार्य मात्रा बढ़ाकर भुगतान करने तथा राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के कार्यों, फोटोकापी आदि के भुगतान में गड़बड़ी कर दस करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया है। शिकायत की जांच किए जाने पर प्रकरण में बिना कार्य कराए फर्जी भुगतान कर शासन को 3.97 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने एवं कार्यों के माप पुस्तिका में दर्ज कर 68.84 लाख रुपए का ठेकेदार को फर्जी भुगातन किए जाने का मामला सामने आया है। इसके अलावा अन्य कई ऐसे भुगतान फर्जी पाए गए हैं जिनमें करोड़ों रुपए का भुगतान हुआ है। इसलिए माना गया है कि अनियमितता की राशि दस करोड़ से ऊपर होगी।
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इन कार्यों में भी हुआ फर्जीवाड़ा
जांच के दौरान लोकायुक्त अधिकारियों ने पाया है कि कई ऐसे कार्यांे के नाम पर भुगतान किया गया, जिन किसी तरह का कार्य हुआ ही नहीं है। गुरमा बांध के नीचे सीपेज डैम, पिचिंग कार्य, मुख्य नहर के सर्विस रोड वितरिका नहर, स्टेक्चरों के रिपेयर एवं लाइनिंग, निर्धारित स्पेशिफिकेशन में न कराकर गुणवत्ता विहीन घटिया मटेरियल का उपयोग करते हुए तथा कुछ कार्य बिना कराए ही एकराय होकर ठेकेदारों को अनियमित भुगतान कर शासन को करोड़ो रुपए का आर्थिक क्षति कारित की गई है। इसी प्रकार पुलियों की सफाई एवं पुताई कराकर नवीन पुलिया का निर्माण बताना, नहरों की सड़कों पर बिना अर्थवर्क एवं मुरुम बिछाए नया कार्य बताकर भुगतान करना, मुख्य नहर से निकाली गई मिट्टी नहर बैंक में डालकर अलग से ढुलाई बताकर भुगतान करना, गुरमा जलाशय के पुनरुद्धार में बिना कार्य कराए भुगतान करना, फोटोकापी ब्लूप्रिंट एवं कम्प्यूटर टायपिंग के कार्यों में करोड़ों का फर्जी भुगतान करना, ठेकेदार को अनावश्यक समयावृद्धि देना, बेलहा तालाब का कार्य पूर्व में कराया गया था, जिसे पुन: नवीन कार्य दिखा कर फर्जी भुगतान करना पाया गया है।
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जल संसाधन के भुगतान से जुड़ी शिकायत आई थी। जांच में आरोप सही पाए गए हैं और करीब दस करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता प्रथम दृष्टया सामने आई है। विभाग के नौ तत्कालीन जिम्मेदारों पर एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।
गोपाल सिंह धाकड़, एसपी लोकायुक्त रीवा