महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव की प्रतिमा लगाए जाने का मामला शहर की राजनीति का बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। इसकी मांग लगातार होने के बावजूद चुनावों के ऐनवक्त पहले तैयारी प्रारंभ की जाती है। बाद में तकनीकी खामियां बताकर रोका जाता है। विधानसभा चुनाव के पहले परिषद द्वारा पास किए गए मामले को फिर लाया गया, जिसमें कहा गया कि चोरहटा बायपास के नजदीक प्रतिमा लगाई जाएगी। इस पर कांग्रेस पार्षद गोविंद शुक्ला ने सवाल उठाया कि नगर निगम को काम करने का अधिकार अपने क्षेत्र में है। ग्रामीण इलाके में कैसे प्रतिमा लगाई जाएगी।
उक्त भूमि पर राष्ट्रीय राजमार्ग आपत्ति दर्ज करा सकता है। रामप्रकाश तिवारी ने कहा कि वे रीवा रियासत के महाराजा थे, उन्हें लोग अन्नदाता कहते थे, ऐसे सख्श की प्रतिमा के साथ राजनीति कब तक की जाएगी। अजय मिश्रा, सज्जन पटेल, विनोद शर्मा, मो. अकरम, नम्रता सिंह, दशमतिया, रमाकांत पाण्डेय आदि ने शहर के बीच प्रतिमा लगाने की मांग करते हुए कहा कि अन्य जिन महापुरुषों की प्रतिमा प्रस्तावित है सबके लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएं।
रानीतालाब संरक्षण योजना के लिए ठेका की निविदा स्वीकृति का प्रस्ताव भी रखा गया, जिस पर कई सदस्यों ने कहा कि मनमानी रूप से संचालन होता है, वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही अभद्रता की जाती है। इसलिए तय किया जाए कि ठेकेदार क्या सुविधाएं वहां पर देगा। इसके लिए वह सूचना बोर्ड भी लगाए। साथ ही मछली मारने पर प्रतिबंध लगे और लोगों के लिए और सुविधाएं बढ़ाई जाएं। इसके अलावा बाजार बैठकी एवं शहर के अन्य स्थानों पर वाहन पार्किंग ठेका प्रीमियम का प्रस्ताव भी रखा गया। इस पर सदस्यों की मांग पर अध्यक्ष ने कहा है कि पांच सदस्यीय समिति गठित की जाएगी जो सुझाव देगी कि क्या शर्तें और जोड़ी जाएं इसके बाद ही अनुमति दी जाएगी।
शहर के नर्सिंगहोम से लिए जाने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उपभोक्ता प्रभार को घटाने के प्रस्ताव पर पार्षदों में एक राय नहीं बनी। कुछ भाजपा पार्षदों के साथ ही कांग्रेस के पार्षद भी चाह रहे थे कि ३ हजार रुपए से घटाकर उपभोक्ता प्रभार ५०० रुपए किया जाए। वहीं अधिकांश पार्षदों ने विरोध जताया और कहा कि आम लोगों से मनमानी फीस नर्सिंग होम वसूल रहे हैं। ऐसे में निगम की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ३ हजार से बढ़ाकर इसे पांच हजार रुपए किया जाए। पार्षदों में विरोधाभाष की स्थिति को देखते हुए कहा गया है कि नर्सिंगहोम से निकलने वाले कचरे की मात्रा के हिसाब से उपभोक्ता प्रभार तय किया जाए। अब अगली बैठक में यह प्रस्ताव फिर लाया जाएगा।
नगर निगम के आयुक्त सभाजीत यादव ने कहा कि एक दिन पहले वह रीवा आए हैं, एजेंडे पहले से तय थे, इसलिए इनमें आई आपत्तियों के बारे में जानकारी नहीं थी। इसलिए उन्होंने महाराजा मार्तण्ड सिंह की प्रतिमा, रानीतालाब संरक्षण का ठेका और नर्सिंगहोम के उपभोक्ता प्रभार के एजेंडे को दोबारा प्रस्तुत करने के लिए कहा। इस बीच प्रतिमा लगाने और रानीतालाब के एजेंडे को अध्यक्ष ने पास किए जाने की घोषणा कर दी।
बैठक व्यवस्था से नाराज वार्ड १३ की पार्षद नम्रता सिंह लगातार कई बैठकों से फर्श पर ही बैठती आ रही हैं। नवागत आयुक्त ने जानकारी लेने के बाद फूलों का गुलदस्ता देकर अनुरोध किया कि उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाएगा, वह कुर्सी पर जाकर बैठें। उस दौरान तो पार्षद ने बात मान ली लेकिन कुछ देर के बाद वह दूसरे मुद्दे को लेकर आसंदी के सामने फिर फर्श पर बैठ गई।
कांग्रेस के पार्षद विनोद शर्मा ने कहा कि शहर की जो वर्तमान स्थिति है, उससे यह स्पष्ट है कि अभी भी कई वार्ड ऐसे हैं जहां पर विकास कार्य नहीं हुए हैं। गांवों जैसा हाल है। पहले उन वार्डों में विकास कार्य कराए जाएं इसके बाद ही नए गांवों को शामिल किया जाए। भाजपा के भी कई पार्षदों ने इसी तरह की मांग उठाई।
—
शहर की सीमा वृद्धि होने से निगम का राजस्व बढ़ेगा। लोगों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ेगा। भाजपा एवं उनसे जुड़े लोगों ने शहर से सटे गांवों में व्यवसायिक कारोबार जमा रखा है। उनसे टैक्स लिया जाएगा, इसलिए वह नहीं चाहते की शहर का विस्तार हो। मार्तण्ड सिंह की प्रतिमा स्थापना केवल हर बार दिखावटी होती है।
अजय मिश्रा बाबा, नेता विपक्ष
—
एमआइसी के सामने जो प्रस्ताव आया था, उसे परिषद में इसीलिए भेजा गया था कि वहां सदस्यों की राय समझी जाए। कुछ लोग शहर के सीमा विस्तार के पक्ष में हैं तो कुछ पहले वर्तमान वार्डों को विकसित करने की बात कर रहे हैं। परिषद में सामूहिक निर्णय होता है।
ममता गुप्ता, महापौर