– मीटर लगाने की नहीं हो पाई शुरुआत
पानी सप्लाई के लिए मीटर लगाने की राशि का भुगतान करीब एक वर्ष पहले ही निगम अधिकारियों ने कर दिया लेकिन शहर में अब तक मीटर नहीं लगे हैं। बताया गया है कि मीटर तो कंपनी ने खरीद लिए हैं लेकिन इसे लगाने के लिए अन्य उपकरण अभी तक नहीं खरीदे गए, जिसकी वजह से मीटर नहीं लगाया जा रहा है। कंपनी का तर्क है कि पांच साल के भीतर अनुबंध है, जिसके चलते उस अवधि में पूरे शहर में मीटर लगा दिए जाएंगे।
– 135लीटर पानी का है प्रावधान
शहर में प्रति परिवार 135 लीटर पानी दिए जाने का प्रावधान है, नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक 58 हजार मकानों में नल कनेक्शन किए जाएंगे। करीब डेढ़ वर्ष से अधिक समय कंपनी को जिम्मेदारी दिए हो चुके हैं लेकिन अब तक नल कनेक्शन भी शतप्रतिशत नहीं हुए हैं। जबकि कनेक्शन की सामग्री के नाम पर पांच करोड़ रुपए का भुगतान निगम द्वारा किया जा चुका है। वर्तमान में 45 हजार नल कनेक्शन शहर में होने का दावा किया जा रहा है। रीवा शहर में पानी की उपलब्धता पर्याप्त है, इसलिए यहां पर व्यवहारिक रूप से मीटर की जरूरत नहीं है, इसके बावजूद राशि खर्च करने के नाम पर पूर्व में अधिकारियों ने भुगतान करा दिया।
– ऋण लेकर किया गया था भुगतान, शासन ने मांगी राशि
रीवा शहर में कुछ साल पहले तक पानी की बड़ी समस्या थी। शहर के बड़े हिस्से में पानी की सप्लाई ही नहीं हो रही थी और जहां पर पानी पहुंच रहा था वहां शुद्धता की समस्या थी। आए दिन दूषित पानी की सप्लाई को लेकर धरना-प्रदर्शन किए जाते थे। इसी के चलते नगर निगम ने मध्यप्रदेश शहरी अधोसंरचना कोष से १५ करोड़ रुपए का ऋण ८.५० प्रतिशत के ब्याज की दर से स्वीकृत किया था। इसमें यह शर्त रखी गई थी कि नगर निगम और बैंक आफ इंडिया के बीच वार्ता चल रही है। वहां से ऋण स्वीकृत होते ही उक्त राशि को वापस कर दिया जाएगा। पेयजल योजना क्रियान्वयन के लिए बैंक ने नगर निगम को 19.64 करोड़ रुपए का दीर्घकालीन ऋण स्वीकृत किया। इसके बाद भी नगर निगम ने शहरी अधोसंरचना कोष को उक्त ऋण की राशि नहीं लौटाई, बल्कि इधर पानी मीटर की खरीदी के नाम पर कंपनी को भुगतान कर दिया।
– निगम के अनुदान राशि से कटौती की चेतावनी
नगरीय प्रशासन विभाग के अपर आयुक्त स्वतंत्र कुमार सिंह का पत्र नगर निगम आयुक्त के पास आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि शहरी अधोसंरचना कोष से लिए गए ऋण को वापस नहीं किया गया है। 4 करोड़ 58 लाख 72 हजार 177 रुपए सप्ताह भर में जमा नहीं कराए गए तो नगर निगम को आगामी माह प्राप्त होने वाले विभिन्न मदों की राशि में कटौती कर ली जाएगी और अधोसंरचना कोष में राशि जमा की जाएगी। यदि चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि में कटौती की गई तो निगम कर्मचारियों को अगले महीने वेतन के भुगतान में भी संकट उत्पन्न हो सकता है।
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शहर में पानी मीटर लगाए जाने के नाम पर राशि का भुगतान हुआ था लेकिन अभी तक नहीं लगाए गए हैं। समीक्षा के दौरान कुछ कमियां पाई गई हैं, जिस पर संबंधितों से जानकारी ली जा रही है। अनुबंध के विपरीत यदि भुगतान पाया जाएगा तो कार्रवाई करेंगे।
सभाजीत यादव, आयुक्त नगर निगम