निगम आयुक्त ने समीक्षा के बाद कहा है कि भुगतान से जुड़ी फाइलें उनके पास तब तक नहीं लाई जाएं तब तक अनुमति नहीं दें। इस निर्देश की वजह से नगर निगम की भुगतान से जुड़ी फाइलों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। बताया गया है कि जनवरी महीने के बाद से नगर निगम की वसूली भी कमजोर हो गई है। मार्च से कोरोना संक्रमण की वजह से वसूली का कार्य रोका गया है।
करीब तीन महीने तक राहत पहुंचाने के कार्य में निगम का अमला जुड़ा रहा, जिसकी वजह से टैक्स वसूली का कार्य नहीं हो पाया। लॉकडाउन खुला तो सरकार का निर्देश आया कि बकायादारों से सख्ती नहीं बरती जाए, इसलिए वसूली अब तक न के बराबर रही है।
– देनदारियां बढऩे से अनुदान में हुई कटौती
नगर निगम द्वारा पूर्व में बड़ी मात्रा में ऋण लिया गया था। जिनके भुगतान का समय आया तो निगम की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसका भुगतान किया जा सके। इसलिए सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान में कटौती की जा रही है। बिजली का बिल भी कई वर्षों का बकाया था, जिसमें से बड़ा हिस्सा बीते साल जमा कराया गया है। शेष राशि जमा करने के लिए हर महीने निगम को मिलने वाली राशि से कटौती की जा रही है।
नगर निगम द्वारा पूर्व में बड़ी मात्रा में ऋण लिया गया था। जिनके भुगतान का समय आया तो निगम की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि उसका भुगतान किया जा सके। इसलिए सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान में कटौती की जा रही है। बिजली का बिल भी कई वर्षों का बकाया था, जिसमें से बड़ा हिस्सा बीते साल जमा कराया गया है। शेष राशि जमा करने के लिए हर महीने निगम को मिलने वाली राशि से कटौती की जा रही है।
– वेतन भुगतान को लेकर भी बन रहा संकट
नगर निगम के कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान नहीं होने की समस्या करीब एक वर्ष पहले से चल रही है। निगम में हर महीने करीब पौने तीन करोड़ रुपए का वेतन भुगतान किया जाता है। जिसमें करीब दो करोड़ रुपए चुंगीक्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाते रहे हैं। इस राशि में भी कटौती की जा रही है अब यह राशि महज ७० से ९० लाख के बीच में आ रही है। इसलिए पहले आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारियों को ही भुगतान किया जा रहा है। सफाई कर्मचारियों को पहले भुगतान होता है, इसके बाद अन्य का वेतन मिलता है।
नगर निगम के कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान नहीं होने की समस्या करीब एक वर्ष पहले से चल रही है। निगम में हर महीने करीब पौने तीन करोड़ रुपए का वेतन भुगतान किया जाता है। जिसमें करीब दो करोड़ रुपए चुंगीक्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाते रहे हैं। इस राशि में भी कटौती की जा रही है अब यह राशि महज ७० से ९० लाख के बीच में आ रही है। इसलिए पहले आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारियों को ही भुगतान किया जा रहा है। सफाई कर्मचारियों को पहले भुगतान होता है, इसके बाद अन्य का वेतन मिलता है।