तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला और एसडीओ एचके त्रिपाठी को निलंबित किए जाने के बाद दोनों कोर्ट गए थे। जहां से कोर्ट ने मामले को निराकृत करते हुए मेयर इन काउंसिल को निर्णय लेने के लिए कहा है। इसी बीच महापौर ममता गुप्ता अनिश्चितकालीन अवकाश पर चली गई हैं। उनकी गैर मौजूदगी में प्रभारी महापौर वेंकटेश पाण्डेय की अध्यक्षता में एमआइसी की बैठक आयोजित कर दोनों अधिकारियों के निलंबन की स्वीकृति का प्रस्ताव खारिज कर दिया। इस बैठक को निगम आयुक्त ने नियमों के विपरीत बताते हुए इसके निर्णय मानने से इंकार कर दिया है।
यह मामला धीरे-धीरे राजनीतिक रंग भी लेता जा रहा है। अधिकारियों का बचाव करने के चलते नगर निगम आयुक्त ने मेयर इन काउंसिल के सभी सदस्यों का पार्षद पद शून्य किए जाने का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा है। इस बीच उनके द्वारा लिए गए निर्णय को अवैधानिक बताया जा रहा है। दोनों अधिकारियों को निलंबित करने के बाद शहरी विकास अभिकरण मुख्यालय निर्धारित किया गया है। इसलिए आरोप पत्र उसी कार्यालय के जरिए अधिकारियों को भेजा गया है।
– अधिकारियों पर यह हैं आरोप
शैलेन्द्र शुक्ला– निगम के प्रभारी आयुक्त रहते हुए स्कीम नंबर छह की भूमि को निगम के नाम पर नामांतरण कराने का प्रयास नहीं किया। लंबे समय तक कार्यपालन यंत्री रहे, अवैध निर्माण रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। निगम की अधिग्रहित भूमि और ग्रीन एरिया में मकान निर्माण कराने की अनुमति दे दी। 2 जून 2009 को परिषद ने स्कीम में बसे लोगों से विकास शुल्क लेकर नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया, उस पर कोई प्रयास नहीं किया। आइएचएसडीपी योजना के तहत रतहरा और रतहरी में बने मकानों में 21 अगस्त 2015 को बिना रुपए जमा कराए मंत्री के कहने पर कब्जा करा दिया। उपयंत्रियों की अनुंशंसा के बाद भी कार्रवाई नहीं की।
एचके त्रिपाठी- लंबे समय तक स्कीम नंबर छह में एसडीओ के दायित्व में पदस्थ रहे। यहां पर अतिक्रमण रोकने का प्रयास नहीं किया, बल्कि सड़क, नाली और प्रकाश की व्यवस्था उपलब्ध कराकर अतिक्रमण को बढ़ावा दिया। ग्रीन एरिया में मकान निर्माण कराने की अनुशंसा देकर भवन निर्माण की अनुज्ञा भी जारी कराई। शिकायतों को नजरंदाज लगातार करते रहे।