नईगढ़ी माइक्रो सिंचाई परियोजना की स्वीकृति तीन नवंबर 2016 को हुई थी। इसकी प्रारंभिक लागत 856.04 करोड़ रुपए निर्धारित है। करीब चार साल पहले शुरू की गई इस परियोजना का कार्य अब तक महज 25 फीसदी ही पूरा हो सका है। जबकि इस परियोजना को पिछले वर्ष ही पूरा करने का टारगेट रखा गया था। अब दिसंबर 2021 तक पूरा करने का समय दिया गया है। ठेका कंपनी ने कोरोना काल में कार्य प्रभावित होने का भी हवाला दिया है। इस परियोजना से 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है।
नईगढ़ी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा भौगोलिक रूप से ऊंचाई पर होने की वजह से बाणसागर परियोजना का पानी नहरों के माध्यम से नहीं पहुंचाया जा सकता था। इसलिए सरकार ने नई योजना प्रयोग के तौर पर शुरू की है। देवतालाब विधायक गिरीश गौतम ने इसके लिए कई बार मांग उठाई थी। नहर बनाने के बजाय पाइपलाइन के जरिए ही गांवों तक पानी पहुंचाया जाना है। इसके लिए कई गांवों में पाइप बिछाने का कार्य शुरू भी कर दिया गया है। साथ ही बड़ी संख्या में ह्यूम पाइप गांवों में पहुंचा दी गई है। बताया जा रहा है कि बरसात समाप्त होने के बाद इस कार्य में और तेजी आएगी।
त्योंथर क्षेत्र के जिन 16 गांवों में पानी पहुंचाया जाएगा उनके जरिए 3330.362 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। जिसमें जैकरा में 37.163 हेक्टेयर, घूमा में 166.780 हेक्टेयर, 86.365 हे., देउर में 307.438, बरहट में 289.749 हेक्टेयर, कलवारी में 380.940 हे., कांकर में 182.400 हे., सर्रा में 116.364 हेक्टे., डाढ़ में 66.495 हेक्टे., जमुईकला में 231.379 हेक्टेयर, दुबगवां में 44.658 हेक्टेयर, करहिया में 184.826, गंगतीरा में 341.776 हेक्टे, ललवारी में 404.325 हेक्टेयर, महेबा में 351.501 हेक्टेयर में सिंचाई प्रस्तावित की गई है। बताया जा रहा है कि आवश्यकता पडऩे पर और भी गांव जोड़े जा सकते हैं।