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अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग से बीपीएड की डिग्री ले रही खुशबू ने खेल की दुनिया में कदम तो रखा लेकिन उनका सफर कठिनाइयों से भरा रहा। तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय स्तर पर दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। महिला कुश्ती में जिला एवं संभाग लेवल पर अकेले लोहा मनवा रही हैं। 24 सितंबर से शुरू हो रही जिला स्तरीय महिला कुश्ती प्रतियोगिता के लिए विश्वविद्यालय में उनके सामने कोई महिला खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा में टीक ही नहीं रहा है। विश्वविद्यालय की वे अकेली महिला कुश्ती खिलाड़ी हैं।
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग से बीपीएड की डिग्री ले रही खुशबू ने खेल की दुनिया में कदम तो रखा लेकिन उनका सफर कठिनाइयों से भरा रहा। तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय स्तर पर दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। महिला कुश्ती में जिला एवं संभाग लेवल पर अकेले लोहा मनवा रही हैं। 24 सितंबर से शुरू हो रही जिला स्तरीय महिला कुश्ती प्रतियोगिता के लिए विश्वविद्यालय में उनके सामने कोई महिला खिलाड़ी प्रतिस्पर्धा में टीक ही नहीं रहा है। विश्वविद्यालय की वे अकेली महिला कुश्ती खिलाड़ी हैं।
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खुशबू अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। खुशबू स्कूल के दिनों में ही खेल के प्रति काफी उत्साहित रही हैं। वे बताती हैं कि स्कूल के दिनों में ही वह खेल प्रतियोगिताओं में पार्टिसिपेट करती रही हैं। कॉलेज में भी उन्होंने अपने इस जुनून को कायम रखा। यमुना प्रसाद शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय की ओर से उन्हें पहली बार कुश्ती प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने का मौका मिला। पहली बार में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर रोहतक हरियाणा में हुई प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट किया। इसके ठीक अगले वर्ष अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का उन्होंने नेतृत्व किया। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र औरंगाबाद में हुई राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
खुशबू अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। खुशबू स्कूल के दिनों में ही खेल के प्रति काफी उत्साहित रही हैं। वे बताती हैं कि स्कूल के दिनों में ही वह खेल प्रतियोगिताओं में पार्टिसिपेट करती रही हैं। कॉलेज में भी उन्होंने अपने इस जुनून को कायम रखा। यमुना प्रसाद शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय की ओर से उन्हें पहली बार कुश्ती प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट करने का मौका मिला। पहली बार में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर रोहतक हरियाणा में हुई प्रतियोगिता में पार्टिसिपेट किया। इसके ठीक अगले वर्ष अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का उन्होंने नेतृत्व किया। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र औरंगाबाद में हुई राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
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खुशबू ने बताया कि कुश्ती में उन्होंने जब करियर बनाने के लिए कदम रखा तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनाती ट्रेनिंग की रही। महिला कुश्ती खिलाडिय़ों के लिए प्रशिक्षक आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद भी वे पीछे नहीं हटी। बताया कि यूटयूब पर दंगल देखकर उन्होंने काफी कुछ दांव-पेच सीखा। यूट्यूब पर देखकर ही प्रैक्टिस करती रही। वहां से काफी कुछ टिप्स मिल जाते हैं। कहा कि कुछ खेल ऐसे हैं जिसमें करियर बनाना आसान नहीं हैं। प्रशिक्षकों की कमी हर कदम में खलती है।
खुशबू ने बताया कि कुश्ती में उन्होंने जब करियर बनाने के लिए कदम रखा तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनाती ट्रेनिंग की रही। महिला कुश्ती खिलाडिय़ों के लिए प्रशिक्षक आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। इसके बाद भी वे पीछे नहीं हटी। बताया कि यूटयूब पर दंगल देखकर उन्होंने काफी कुछ दांव-पेच सीखा। यूट्यूब पर देखकर ही प्रैक्टिस करती रही। वहां से काफी कुछ टिप्स मिल जाते हैं। कहा कि कुछ खेल ऐसे हैं जिसमें करियर बनाना आसान नहीं हैं। प्रशिक्षकों की कमी हर कदम में खलती है।
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बच्चों को देती हैं ट्रेनिंग
खुशबू एपीएसयू के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग से बीपीएड की डिग्री लेने के साथ ही बच्चों को खेल के लिए प्रशिक्षित करती हैं। कुश्ती के दांव-पेंच सिखाती हैं। उनका एक प्रशिक्षण केन्द्र है जहां पर वे बच्चों को कुश्ती से संबंधित दांव-पेंच सिखाती हैं।
बच्चों को देती हैं ट्रेनिंग
खुशबू एपीएसयू के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग से बीपीएड की डिग्री लेने के साथ ही बच्चों को खेल के लिए प्रशिक्षित करती हैं। कुश्ती के दांव-पेंच सिखाती हैं। उनका एक प्रशिक्षण केन्द्र है जहां पर वे बच्चों को कुश्ती से संबंधित दांव-पेंच सिखाती हैं।
इन्होंने भी किया जिले का नाम रोशन
लाल सुंदर ङ्क्षसह – राज्य स्तर पर
जीतेन्द्र प्रजापति – ऑल इंडिया कुश्ती प्रतियोगिता हरियाणा
रामखेलावन कुशवाहा- ओपन नेशनल दिल्ली में
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