सरकार को यह नीति लागू करने से पहले उन सभी पहलुओं पर भी विचार करना होगा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय और शहर के अन्य प्रमुख कालेजों में पढऩे वाले छात्रों से नई शिक्षा पद्धति के बारे में बात की गई तो छात्रों ने कई कमियां भी इसमें बता दी हैं। छात्र इसमें कुछ और बदलाव चाहते हैं, उनका मानना है कि जो मसौदा पेश किया गया है, उसमें कई ऐसे बिन्दु हैं जिनमें संशोधन करना आवश्यक है।
वहीं शहर के शिक्षाविदों ने भी नई शिक्षा नीति को सकारात्मक कदम बताते हुए कहा है कि देश में ३४ वर्ष बाद शिक्षा नीति में बदलाव हुआ है। सरकारें सामान्यतौर पर शिक्षा व्यवस्था को दरकिनार करती रही हैं। शिक्षाविदों का मानना है कि यह सुखद है कि सरकार ने इस पर चर्चा शुरू कर दी है। जब नई नीति लागू होगी तो उसमें जो कमियां होंगी उनमें सुधार भी समय-समय पर होते रहेंगे।
– छात्रों ने कहा, बजट भी बढ़ाए सरकार
शहर के कई छात्रों ने यह भी कहा है कि शिक्षा व्यवस्था में बदलाव केवल पाठ्यक्रम बदलने से या फिर नाम परिवर्तन करने से नहीं आएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी इच्छाशक्ति जाहिर करनी होगी। शिक्षा को भी उसी तरह का बजट मिलना चाहिए जिस तरह से देश के सुरक्षा एवं अन्य कई प्रमुख विषयों को महत्व मिलता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छात्र संसाधनों की कमी के चलते अधूरी पढ़ाई ही छोड़ देते हैं।
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शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत थी, सरकार ने प्राथमिक शिक्षा आगनबाड़ी केन्द्रों से करने की बात कही है। पहले निचले स्तर पर संसाधन मजबूत करने होंगे जिसके लिए कोई बात नहीं की गई है। मेरा मानना है कि बिगड़ती अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है। इसके विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं।
अभिषेक तिवारी, छात्र टीआरएस कालेज
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अब ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो हम छात्रों को रोजगार से जोड़ सके। शिक्षा लेने का अधिकार सबको मिल सके। ग्रामीण और गरीब तबके के छात्र भी बराबर की शिक्षा पाएं, यह प्रावधान करने की जरूरत है। नई नीति आई है तो उम्मीद है कि छात्रों के मन में जो जिज्ञासा है, उसका समाधान भी मिलेगा।
पंकज उपाध्याय, टीआरएस कॉलेज रीवा
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नई शिक्षा नीति घोषित करने से पहले सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को विश्वास में लेना था। देश भर के छात्रों से भी राय ली जाती तो और बेहतर बनाया जा सकता था। प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक पूंजीवाद हावी होगा तो वंचित वर्ग फिर छूट जाएगा। विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस में देश की हिस्सेदारी भी होना चाहिए।
संदीप पांडेय, छात्र एपीएसयू रीवा
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नई शिक्षा नीति में कई अच्छे बदलाव किए गए हैं जिससे हमारा शैक्षणिक स्तर मजबूत होगा। प्रारंभिक शिक्षा के लिए संसाधनों की जरूरत है। उच्च शिक्षा में शोध को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसलिए छात्रों के मन में इस नीति का पूरा मसौदा जानने की इच्छा है। साथ ही चाहते हैं कि इसे जल्द ही लागू किया जाए।
भास्करदेव सिंह परिहार, मॉडल साइंस कॉलेज रीवा
शहर के कई छात्रों ने यह भी कहा है कि शिक्षा व्यवस्था में बदलाव केवल पाठ्यक्रम बदलने से या फिर नाम परिवर्तन करने से नहीं आएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी इच्छाशक्ति जाहिर करनी होगी। शिक्षा को भी उसी तरह का बजट मिलना चाहिए जिस तरह से देश के सुरक्षा एवं अन्य कई प्रमुख विषयों को महत्व मिलता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छात्र संसाधनों की कमी के चलते अधूरी पढ़ाई ही छोड़ देते हैं।
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शिक्षा नीति में सुधार की जरूरत थी, सरकार ने प्राथमिक शिक्षा आगनबाड़ी केन्द्रों से करने की बात कही है। पहले निचले स्तर पर संसाधन मजबूत करने होंगे जिसके लिए कोई बात नहीं की गई है। मेरा मानना है कि बिगड़ती अर्थव्यवस्था से ध्यान भटकाने के लिए किया गया है। इसके विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार कर रहे हैं।
अभिषेक तिवारी, छात्र टीआरएस कालेज
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अब ऐसी शिक्षा की जरूरत है जो हम छात्रों को रोजगार से जोड़ सके। शिक्षा लेने का अधिकार सबको मिल सके। ग्रामीण और गरीब तबके के छात्र भी बराबर की शिक्षा पाएं, यह प्रावधान करने की जरूरत है। नई नीति आई है तो उम्मीद है कि छात्रों के मन में जो जिज्ञासा है, उसका समाधान भी मिलेगा।
पंकज उपाध्याय, टीआरएस कॉलेज रीवा
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नई शिक्षा नीति घोषित करने से पहले सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को विश्वास में लेना था। देश भर के छात्रों से भी राय ली जाती तो और बेहतर बनाया जा सकता था। प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक पूंजीवाद हावी होगा तो वंचित वर्ग फिर छूट जाएगा। विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस में देश की हिस्सेदारी भी होना चाहिए।
संदीप पांडेय, छात्र एपीएसयू रीवा
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नई शिक्षा नीति में कई अच्छे बदलाव किए गए हैं जिससे हमारा शैक्षणिक स्तर मजबूत होगा। प्रारंभिक शिक्षा के लिए संसाधनों की जरूरत है। उच्च शिक्षा में शोध को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसलिए छात्रों के मन में इस नीति का पूरा मसौदा जानने की इच्छा है। साथ ही चाहते हैं कि इसे जल्द ही लागू किया जाए।
भास्करदेव सिंह परिहार, मॉडल साइंस कॉलेज रीवा