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गांव में सड़क नहीं, गर्भवती को चारपाई पर लिटा ढाई किमी चले पैदल, पर नहीं बची जान

locationरीवाPublished: Aug 23, 2019 09:31:40 pm

Submitted by:

Mahesh Singh

अगर सड़क बनी होती तो गर्भवती को दो घंटे पहले अस्पताल पहुंचाया जा सकता था।

No road in the village, pregnant woman dies

No road in the village, pregnant woman dies

रीवा. जननी को सभी सुविधएं देने के लिए सरकार प्रतिबद्धता दोहराती रहती है, परंतु वास्तविक स्थिति कुछ अलग है। गांव तक सड़क नहीं होने पर दर्द से कराहती गर्भवती महिला को गांव वाले चारपाई पर लिटाकर ढाई किमी पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक पहुंचे। जहां एंबुलेंस से महिला को स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया। लेकिन तब तक उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी, जिससे उसे रीवा के लिए रेफर कर दिया गया। परंतु रीवा ले जाते समय रास्ते में महिला की मौत हो गई। यह घटना रीवा जिले के गंगेव ब्लाक के ग्राम सिगटी कला की है।
सिगटी कला निवासी हीराकली साकेत पत्नी रजनीश साकेत (25) को गुरुवार की देररात लगभग 1.30 बजे प्रसव पूर्व दर्द शुरू हो गया। परिजनों ने 108 एंबुलेंस को रात में फोन किया। लेकिन समस्या यह थी कि गांव तक सड़क बनी नहीं है और पगडंडी कीचड़मय हो गई थी, जिससे वाहन गांव तक नहीं पहुंच सकता था।
No road in the village, pregnant woman dies
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ऐसे में गांव वालों ने दर्द से कराहती गर्भवती महिला को चारपाई में लिटाकर 2 बजे रात गांव से पैदल ढाई किमी चलकर लगभग 3.30 बजे सिगटी मोड़ मुख्य मार्ग तक पहुंचे, जहां पर एंबुलेंस खड़ी हुई थी। वहां से तत्काल एम्बुलेंस के माध्यम से परिजन, पीडि़ता को लेकर लगभग 4 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव पहुंचे। लेकिन अस्पताल पहुंचने तक में महिला की हालत काफी खराब हो चुकी थी और रक्तस्राव तेज हो गया था, जिसे देखते ही गंगेव के चिकित्सकों द्वारा उसे संजय गांधी अस्पताल रीवा के लिये रेफर कर दिया गया।
इस पर परिजन तत्काल महिला को एंबुलेंस लेकर रीवा जा रहे थे लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, प्रसव पूर्व का असहनीय दर्द पीडि़ता हीराकली साकेत सहन नहीं कर पाई और मनगवां के पास सुबह 5.30 बजे रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। यह देखकर परिजनों में कोहराम मच गया। बाद में उनको एंबुलेंस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गंगेव में छोड़ गई।

सड़क बनी होती तो बच जाती जननी की जान
रोते-बिलखते परिजनों ने बताया कि यदि सिगटी गांव तक सड़क बनी होती तो उसकी जान बच जाती। बताया गया कि सिगटी गांव से गंगेव पहुंच मुख्य मार्ग लगभग ढाई किमी तक पगडंडी पर पैदल जाने के लिए डेढ़ से दो घंंटे का समय लग जाता है। अगर सड़क बनी होती तो गर्भवती को दो घंटे पहले अस्पताल पहुंचाया जा सकता था। गांव के लोगों ने बताया कि सड़क नहीं होने से वाहन गांव तक नहीं आते जिससे इसके पहले भी कई मरीजों की मौत हो चुकी है।
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परिजनों द्वारा एंबुलेंस से गर्भवती महिला को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत गंभीर थी और रक्तस्राव अधिक हो रहा था। मरीज की जांच करने के बाद तत्काल रीवा के लिए रेफर कर दिया गया था। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई है। महिला काफी कमजोर थी।
वेदप्रकाश त्रिपाठी बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गंगेव
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